बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाया है। ओवैसी का कहना है कि आयोग राज्य में चुपचाप नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) लागू कर रहा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए चेतावनी दी कि इससे लाखों भारतीय नागरिकों का वोट देने का अधिकार छिन सकता है।
क्या है ओवैसी का आरोप?
असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि बिहार में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए नागरिकों से ऐसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, जो एनआरसी जैसी प्रक्रिया का हिस्सा लगते हैं। उन्होंने दावा किया कि अब हर व्यक्ति को यह साबित करना होगा कि वह कब और कहां पैदा हुआ, साथ ही अपने माता-पिता की जन्मतिथि और जन्मस्थान की जानकारी भी देनी होगी।
1987 से पहले जन्मे लोगों के लिए अतिरिक्त दस्तावेज अनिवार्य
ओवैसी के अनुसार, अगर किसी नागरिक की जन्मतिथि जुलाई 1987 से पहले की है, तो उसे अपनी जन्मतिथि और जन्मस्थान प्रमाणित करने के लिए 11 में से कोई एक वैध दस्तावेज भी प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा।
ओवैसी ने जताई लोकतंत्र पर चिंता
ओवैसी ने कहा कि चुनाव आयोग का यह कदम न केवल नागरिकों के वोटिंग अधिकार पर सवाल खड़े करता है, बल्कि इससे आम जनता का आयोग पर भरोसा भी कमजोर होगा। उन्होंने मांग की कि आयोग इस प्रक्रिया पर तुरंत सफाई दे और पारदर्शिता सुनिश्चित करे।
क्या है NRC और क्यों होता है विवाद?
- नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (NRC) एक नागरिकता सत्यापन प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य देश के वैध नागरिकों और अवैध प्रवासियों के बीच अंतर करना है।
- असम में NRC लागू होने के बाद लाखों लोग सूची से बाहर हो गए थे, जिससे बड़ा राजनीतिक और सामाजिक विवाद खड़ा हुआ था।
- विपक्षी दलों और कई संगठनों का आरोप है कि NRC का इस्तेमाल खास वर्ग या समुदाय को निशाना बनाने के लिए किया जाता है।
बिहार चुनाव से पहले क्यों गरमाया मामला?
बिहार में 2025 के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में मतदाता सूची में बदलाव या NRC जैसी प्रक्रिया का आरोप राजनीतिक हलकों में गर्मी ला सकता है। ओवैसी पहले भी बिहार में एनआरसी और सीएए (नागरिकता संशोधन कानून) जैसे मुद्दों पर मुखर रहे हैं।
चुनाव आयोग की सफाई का इंतजार
ओवैसी के आरोप के बाद फिलहाल चुनाव आयोग की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, बीते दिनों आयोग ने मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर कुछ दिशा-निर्देश जरूर जारी किए थे, लेकिन उसमें NRC जैसी प्रक्रिया का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया।
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निष्कर्ष: राजनीति में फिर गरमा सकता है NRC विवाद
बिहार में एनआरसी को लेकर उठे नए सवालों ने चुनावी माहौल को और गर्म कर दिया है। जहां एक ओर विपक्षी दल इसे जनता के अधिकारों पर हमला बता रहे हैं, वहीं चुनाव आयोग की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में आयोग इस पर क्या स्पष्टीकरण देता है और क्या यह मुद्दा बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ा राजनीतिक मोड़ लेता है।