BY: Yoganand Shrivastva
जबलपुर, : एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में भोपाल की विशेष अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए देवास निवासी राकेश नायक को उम्रकैद की सजा दी गई थी। लेकिन अब यह मामला नया मोड़ ले चुका है। जबलपुर हाईकोर्ट ने इस सजा के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए मेडिकल रिपोर्ट की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं और मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
क्या है पूरा मामला
भोपाल की एक विशेष अदालत ने 22 नवंबर 2022 को नाबालिग लड़की से दुष्कर्म का दोषी मानते हुए राकेश नायक को आजन्म कारावास की सजा सुनाई थी। आरोपी की ओर से अधिवक्ता मंजू खत्री ने हाईकोर्ट में अपील दायर की, जिसमें मेडिकल परीक्षण और पीड़िता की उम्र संबंधी प्रक्रिया में गंभीर खामियों का हवाला दिया गया।
मेडिकल रिपोर्ट पर संदेह
याचिका में कहा गया कि मेडिकल बोर्ड में तीन डॉक्टरों की टीम थी, लेकिन रिपोर्ट पर सिर्फ डॉ. आर.के. सोनी की मुहर लगी है। रेडियोलॉजिस्ट और डेंटिस्ट की राय का रिपोर्ट में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसके अलावा, पीड़िता की उम्र का निर्धारण केवल शारीरिक बनावट और हाव-भाव के आधार पर किया गया, जबकि वैज्ञानिक मानकों को नजरअंदाज किया गया।
हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणियाँ
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस अवनींद्र कुमार सिंह शामिल हैं, ने कहा कि यह रिपोर्ट प्रथम दृष्टया दबाव में तैयार की गई प्रतीत होती है। बेंच ने इसे “असंतोषजनक और अपूर्ण” बताया और कहा कि ऐसे संवेदनशील मामलों में जांच का आधार केवल सतही शारीरिक परीक्षण नहीं हो सकता।
कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे गम्भीर अपराधों में न्याय प्रणाली की प्रामाणिकता और निष्पक्षता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। अदालत ने मध्य प्रदेश सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया है कि 15 दिनों के भीतर विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
अगली सुनवाई कब
इस मामले में अब अगली सुनवाई 15 जुलाई 2025 को होगी, जिसमें उच्च स्तरीय जांच रिपोर्ट के आधार पर फैसला आगे बढ़ेगा।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या एक दोषसिद्धि, जो उम्रकैद जैसी कठोर सजा पर आधारित थी, कमजोर और संदिग्ध मेडिकल रिपोर्ट पर खड़ी थी? अब निगाहें उच्च स्तरीय जांच रिपोर्ट और हाईकोर्ट के आगामी निर्णय पर टिकी हैं।