भारत की सख्ती और बांग्लादेश की चिंता
भारत सरकार ने देशभर में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। हाल ही में चलाए जा रहे व्यापक सत्यापन और निर्वासन अभियान ने न सिर्फ देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर चिंता को उजागर किया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मचा दी है। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने इस कार्रवाई पर आपत्ति दर्ज कराई है।
ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद सख्त कार्रवाई
- 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने देशभर में अवैध विदेशी नागरिकों के सत्यापन की प्रक्रिया तेज कर दी।
- इसके तहत 7 मई से “ऑपरेशन सिंदूर” शुरू हुआ, जिसके अंतर्गत अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें देश से वापस भेजा जा रहा है।
- भारत सरकार का दावा है कि प्रत्येक मामले की व्यक्तिगत समीक्षा के बाद ही निर्वासन की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
बांग्लादेश ने जताई आपत्ति, कहा- ‘लोगों को जबरन भेजा जा रहा’
बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है:
- भारत बिना उचित प्रक्रिया के लोगों को “धकेल” रहा है।
- तौहीद ने कहा, “हम एक नया कड़ा कूटनीतिक नोट देंगे।”
- उन्होंने यह भी माना कि बांग्लादेश उन्हें शारीरिक रूप से रोक नहीं सकता, लेकिन इसका विरोध करता रहेगा।
भारत ने बांग्लादेश को सौंपी संदिग्ध नागरिकों की सूची
- भारत ने उन लोगों की एक लिस्ट बांग्लादेश को सौंपी, जिन्हें वह बांग्लादेशी मानता है।
- ढाका सरकार ने इनमें से कुछ लोगों की नागरिकता की पुष्टि कर ली है, जबकि बाकी मामलों की जांच जारी है।
- बांग्लादेश का रुख है कि सिर्फ प्रमाणित नागरिकों को ही वापस लिया जाएगा।
भारत-बांग्लादेश के बीच संवाद बना हुआ है
बांग्लादेश के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि:
- दोनों देशों के बीच राजनयिक और वाणिज्य दूतावास स्तर पर संवाद जारी है।
- ढाका सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि हर प्रक्रिया का पालन हो।
- उन्होंने कहा, “हम भारत के साथ लगातार संपर्क में हैं और मुद्दों को शांति से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।”
क्या इस विवाद में और कुछ बड़ा छिपा है?
- बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मोहम्मद यूनुस पर आरोप लगाया है कि वह बांग्लादेश को अमेरिका के हाथों “बेच” रहे हैं।
- इससे यह सवाल उठता है कि क्या अवैध घुसपैठियों की वापसी का मुद्दा सिर्फ एक कूटनीतिक विवाद है या इसके पीछे बड़ी राजनीतिक लड़ाई भी छुपी है?
भारत ने अपनी आंतरिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए अवैध नागरिकों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। लेकिन इस अभियान के कारण भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में खटास आती दिख रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला कैसे सुलझाया जाता है — आपसी सहमति से या कूटनीतिक संघर्ष के रूप में।