रिपोर्ट: उमेश डहरिया
मेडिकल छात्रों के लिए बने मिसाल
कोरबा, 28 मई — कोरबा मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शिक्षा को लेकर एक भावनात्मक और प्रेरणादायक पहल सामने आई है। 70 वर्षीय रिटायर्ड बिजली कर्मचारी मनीराम श्रीवास ने अपने मृत्योपरांत देहदान का संकल्प लेते हुए मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचकर देहदान फॉर्म भरा और उसे कॉलेज के डीन को सौंपा। इस दौरान उन्होंने कहा कि “मेरे शरीर से अगर मृत्यु के बाद भी समाज का भला हो सकता है, तो इससे बड़ी सेवा और क्या हो सकती है।”
दो सेवानिवृत्त साथियों के साथ भरा फॉर्म
मनीराम श्रीवास अकेले नहीं थे, उनके साथ उनके दो रिटायर्ड साथी चैतराम राठौर और श्याम राव भी मेडिकल कॉलेज पहुंचे और देहदान के फॉर्म भरकर समाज को जागरूक करने की एक मिसाल पेश की।
चिकित्सा शिक्षा को मिलेगा संबल
कोरबा में मेडिकल कॉलेज शुरू होने के बाद से मानव शरीर की संरचना और चिकित्सकीय अध्ययन के लिए देहदान की आवश्यकता बढ़ी है। ऐसे में आम लोग जागरूक होकर जीवन के बाद भी समाज के लिए उपयोगी बनने की भावना के साथ आगे आ रहे हैं। मनीराम श्रीवास जैसे बुजुर्गों की यह पहल न केवल मेडिकल छात्रों को बेहतर शिक्षा देने में सहायक होगी, बल्कि चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्र में भी नए रास्ते खोलेगी।
कॉलेज प्रशासन ने की सराहना
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने मनीराम श्रीवास और उनके साथियों की इस पहल की खुले दिल से प्रशंसा की है। कॉलेज के डीन ने कहा कि “यह समाज के लिए एक प्रेरणादायक कदम है। हम इनका आभार प्रकट करते हैं। इससे छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण में बहुत सहायता मिलेगी।”
सामाजिक बदलाव की ओर संकेत
कोरबा में देहदान को लेकर लोगों में बढ़ती जागरूकता इस बात का संकेत है कि समाज अब पुरानी परंपराओं से आगे बढ़कर विज्ञान और मानव सेवा के मार्ग पर अग्रसर हो रहा है। मृत्योपरांत देहदान न केवल एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है, बल्कि यह मानवता की सर्वोच्च सेवा के रूप में भी देखा जा रहा है।