ममता बनर्जी: बंगाल की शेरनी या विवादों की रानी?

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mamata banerjee

ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की सबसे प्रभावशाली राजनेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अपनी सियासी चतुराई और जनता के बीच गहरे जुड़ाव से बंगाल की राजनीति को नया आकार दिया। वह तृणमूल कांग्रेस (TMC) की संस्थापक और बंगाल की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। उनकी लोकप्रियता, रणनीतिक कौशल और जनता से जुड़ाव उन्हें एक मजबूत नेता बनाता है। हालांकि, उनके करियर में कई विवाद और अफवाहें भी रही हैं, जो उनकी छवि को प्रभावित करती हैं।

ममता बनर्जी की शक्ति

ममता बनर्जी की ताकत उनकी रणनीतिक कुशलता, जन-समर्थन और बंगाल की सियासत पर दबदबे में नजर आती है। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदु हैं:

  1. TMC का गठन और वर्चस्व:
    1998 में कांग्रेस से अलग होकर ममता ने TMC बनाई और 2011 में 34 साल के वामपंथी शासन को उखाड़ फेंका। 2016 में 211 और 2021 में 213 सीटों के साथ TMC ने अपनी बादशाहत कायम रखी। 2024 के लोकसभा चुनावों में TMC ने 29 सीटें जीतीं, जो उनकी ताकत को दर्शाता है।
  2. जनता की “दीदी”:
    ममता की सादगी, सस्ती साड़ी और “माँ, माटी, मानुष” का नारा उन्हें गरीब और मध्यम वर्ग से जोड़ता है। उनकी योजनाएँ, जैसे “लक्ष्मीर भंडार” (महिलाओं को 500-1000 रुपये मासिक), “कन्याश्री” (लड़कियों की शिक्षा), और “स्वास्थ्य साथी” (स्वास्थ्य बीमा), ने उन्हें महिलाओं और अल्पसंख्यकों में लोकप्रिय बनाया।
  3. केंद्र के खिलाफ निडरता:
    ममता नागरिकता संशोधन कानून (CAA), वक्फ संशोधन बिल, और केंद्र की नीतियों के खिलाफ मुखर रही हैं। उनकी यह छवि उन्हें विपक्षी गठबंधन में एक मजबूत चेहरा बनाती है, और वह 2026 में TMC को अकेले 215+ सीटें जीतने का लक्ष्य दे चुकी हैं।
  4. चुनावी रणनीति:
    ममता की रणनीति भावनात्मक अपील, बंगाली अस्मिता, और स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित है। 2021 में नंदीग्राम हार के बावजूद उन्होंने भवानीपुर उपचुनाव में जोरदार वापसी की। उनकी “खेला होবে” रणनीति ने 2021 और 2024 में TMC को शानदार जीत दिलाई।
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पश्चिम बंगाल के चुनावों पर ममता का प्रभाव

ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल के चुनावों पर गहरा प्रभाव रहा है। उन्होंने न केवल TMC को एक ताकतवर पार्टी बनाया, बल्कि बंगाल की सियासत को भी अपने हिसाब से ढाला। यहाँ उनके प्रभाव के कुछ प्रमुख पहलू हैं:

  1. महिलाओं का वोट बैंक:
    ममता ने महिलाओं को अपने सबसे बड़े समर्थक वर्ग में बदला। बंगाल में 3.7 करोड़ महिला मतदाता (49% मतदाता) हैं, और योजनाएँ जैसे “लक्ष्मीर भंडार”, “कन्याश्री”, और “रूपश्री” (विवाह के लिए सहायता) ने उन्हें ममता का वफादार वोटर बनाया। 2021 में TMC की जीत में महिलाओं की भूमिका अहम थी, क्योंकि ममता ने खुद को “बंगाल की बेटी” के रूप में पेश किया।
  2. अल्पसंख्यक समर्थन:
    ममता ने अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय (बंगाल की आबादी का ~27%), को अपनी नीतियों से लुभाया। इमामों और मुअज्जिनों को मासिक भत्ता, मस्जिदों के लिए फंड, और CAA-NRC के खिलाफ मुखर विरोध ने उन्हें अल्पसंख्यकों का “रक्षक” बनाया। मालदा और मुर्शिदाबाद जैसे क्षेत्रों में TMC ने 2021 में 80% से अधिक सीटें जीतीं।
  3. बंगाली अस्मिता का इस्तेमाल:
    ममता ने “बंगला विरोधी” ताकतों (खासकर बीजेपी) के खिलाफ बंगाली अस्मिता को हथियार बनाया। उनका नारा “जय बांग्ला” और बीजेपी को “बाहरी” बताना मतदाताओं को आकर्षित करता है। 2021 में उन्होंने केंद्र के MGNREGA फंड रोकने को मुद्दा बनाकर ग्रामीण मतदाताओं को लुभाया।
  4. कल्याणकारी योजनाएँ:
    ममता की कल्याणकारी योजनाएँ, जैसे मुफ्त राशन, साइकिल वितरण, और छात्रवृत्ति, ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में TMC का आधार मजबूत किया। 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी “लक्ष्मीर भंडार” योजना को जीत का बड़ा कारण माना गया।
  5. संगठनात्मक ताकत:
    TMC की जमीनी संगठनात्मक शक्ति ममता के नेतृत्व में बेजोड़ है। उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी ने युवा वोटरों को जोड़ा, जबकि स्थानीय नेता और कार्यकर्ता मतदाताओं तक उनकी नीतियाँ पहुँचाते हैं। 2021 में TMC ने बीजेपी की विशाल रैलियों और संसाधनों को संगठनात्मक दम पर मात दी।

चुनावी हेरफेर के आरोप

ममता और TMC पर पश्चिम बंगाल के चुनावों में हेरफेर के कई आरोप लगे हैं। हालाँकि ये आरोप साबित नहीं हुए, लेकिन विपक्ष और कुछ विश्लेषकों ने इन्हें बार-बार उठाया। यहाँ प्रमुख आरोप हैं:

  1. वोटर लिस्ट में हेरफेर:
    ममता ने 2025 में बीजेपी पर वोटर लिस्ट में फर्जी मतदाता जोड़ने का आरोप लगाया, दावा किया कि हरियाणा और गुजरात के लोगों के नाम बंगाल की लिस्ट में शामिल किए गए। लेकिन बीजेपी ने उल्टा TMC पर यही इल्जाम लगाया, खासकर भवानीपुर जैसे क्षेत्रों में, जहाँ TMC ने कथित तौर पर “बाहरी” वोटरों को रजिस्टर किया।
  2. बूथ कैप्चरिंग और हिंसा:
    विपक्ष, खासकर बीजेपी, ने TMC पर बूथ कैप्चरिंग और मतदाताओं को डराने का आरोप लगाया। 2021 के चुनावों में बीजेपी ने दावा किया कि TMC कार्यकर्ताओं ने उनके मतदाताओं को वोट डालने से रोका। X.com पर कुछ यूजर्स ने भवानीपुर उपचुनाव (2021) में ममता पर बूथ कैप्चरिंग का इल्जाम लगाया, दावा किया कि उनकी हार तय थी, लेकिन “गुंडागर्दी” से जीत हासिल की।
  3. चुनाव आयोग पर दबाव:
    ममता ने कई बार चुनाव आयोग पर बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया, जैसे 2019 में आयोग के अधिकारियों की नियुक्ति पर सवाल उठाए। लेकिन बीजेपी ने उल्टा TMC पर आयोग के स्थानीय अधिकारियों को प्रभावित करने का इल्जाम लगाया। ममता ने 2025 में कहा कि आयोग बीजेपी के लिए “फर्जी वोटर लिस्ट” तैयार कर रहा है।
  4. पैसे और संसाधनों का दुरुपयोग:
    बीजेपी ने ममता पर सरकारी संसाधनों और कल्याणकारी योजनाओं का चुनावों में दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। उदाहरण के लिए, “लक्ष्मीर भंडार” के तहत दी जाने वाली राशि को कुछ लोग “वोट खरीदने” की कोशिश मानते हैं। X.com पर कुछ पोस्ट में इसे “चुनावी रिश्वत” कहा गया।
  5. पोलिंग स्टाफ पर प्रभाव:
    कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि TMC ने स्थानीय स्तर पर पोलिंग स्टाफ को प्रभावित किया, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, ताकि उनके पक्ष में मतगणना हो। ये आरोप ज्यादातर बीजेपी के बयानों पर आधारित हैं।
  6. चुनावी हिंसा:
    2021 के चुनावों के बाद हुई हिंसा में TMC कार्यकर्ताओं पर बीजेपी समर्थकों पर हमले का आरोप लगा। यह हिंसा ममता की सरकार की छवि को नुकसान पहुँचाने वाला एक बड़ा मुद्दा बना।

प्रमुख विवाद (2025 तक)

ममता बनर्जी का करियर कई विवादों से भरा रहा है। यहाँ कुछ प्रमुख विवाद हैं, जो उनकी छवि को प्रभावित करते हैं:

  1. शिक्षक भर्ती घोटाला (2025):
    सुप्रीम कोर्ट ने 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति को रद्द कर दिया, इसे “बड़ा घोटाला” बताया। ममता ने इसे “अमानवीय” कहा, लेकिन बीजेपी ने उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार का इल्जाम लगाया। X.com पर इसे “TMC की लूट” कहा गया।
  2. आरजी कर मेडिकल कॉलेज कांड (2024-2025):
    एक जूनियर डॉक्टर की बलात्कार-हत्या ने ममता को निशाने पर लाया। शुरुआती निष्क्रियता और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोपों ने विवाद खड़ा किया। ममता ने फांसी की मांग की, लेकिन कोर्ट के उम्रकैद के फैसले को उन्होंने “नाकाफी” बताया। X.com पर इसे “महिला सुरक्षा में विफलता” कहा गया।
  3. वक्फ संशोधन बिल विरोध (2025):
    ममता ने वक्फ बिल को “मुस्लिम-विरोधी” बताया और इसका विरोध किया। मुरशिदाबाद में हिंसा ने उनके प्रशासन पर सवाल उठाए। X.com पर कुछ ने इसे “वोट बैंक की सियासत” कहा।
  4. रामनवमी हिंसा (2025):
    रामनवमी पर बीजेपी की यात्राओं को ममता ने “उपद्रव” कहा, जिसे बीजेपी ने “हिंदू-विरोधी” करार दिया। विश्वकर्मा पूजा की छुट्टी रद्द करने का फैसला भी विवादास्पद रहा। X.com पर इसे “तुष्टिकरण” कहा गया।
  5. सारदा और नारदा घोटाले:
    सारदा चिट फंड घोटाले में ममता की पेंटिंग्स की बिक्री और नारदा स्टिंग ऑपरेशन में TMC नेताओं की संलिप्तता ने विवाद खड़ा किया। X.com पर इसे “TMC की भ्रष्टाचार की दुकान” कहा गया।
  6. पार्क स्ट्रीट बलात्कार कांड (2012):
    ममता ने पीड़िता के दावों को “साजिश” बताया, जिसके लिए उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी। यह पुराना विवाद आज भी उनकी छवि पर सवाल उठाता है।
  7. महाकुंभ टिप्पणी (2025):
    ममता ने महाकुंभ में भगदड़ को “मृत्यु कुंभ” कहा, जिसे बीजेपी ने “हिंदू अपमान” बताया। X.com पर इसे “संवेदनहीन” कहा गया।
  8. TMC में आंतरिक कलह (2025):
    बीजेपी ने TMC नेताओं के झगड़े के वीडियो लीक किए। X.com पर इसे “TMC की फूट” कहा गया।
  9. मीडिया पर नियंत्रण:
    ममता पर मीडिया को दबाने का आरोप है। 2024 में RG कर मामले में उनकी आलोचना करने वाले को नोटिस मिला। X.com पर इसे “अभिव्यक्ति पर हमला” कहा गया।
  10. संधेशखाली विवाद (2024):
    संदेशखाली में TMC नेताओं पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोप लगे। ममता ने इसे “बीजेपी की साजिश” कहा, लेकिन विरोध ने उनकी सरकार को बैकफुट पर ला दिया।

अफवाहें और चर्चाएँ

ममता के इर्द-गिर्द कई अफवाहें चलती हैं, जो उनकी छवि को प्रभावित करती हैं। ये सत्यापित नहीं हैं, लेकिन X.com और सार्वजनिक चर्चा का हिस्सा हैं:

  1. अभिषेक को उत्तराधिकारी बनाने की बात:
    ममता के भतीजे अभिषेक को TMC का भावी नेता माना जाता है। X.com पर इसे “पारिवारवाद” कहा गया।
  2. स्वास्थ्य की अटकलें:
    2021 में नंदीग्राम की चोट को कुछ लोग “सियासी ड्रामा” कहते हैं। 2025 में उनके कम कार्यक्रमों ने अफवाहों को हवा दी। X.com पर कुछ ने इसे “ध्यान खींचने की चाल” कहा।
  3. केंद्र के साथ गुप्त समझौता:
    X.com पर कुछ दावों में कहा गया कि ममता केंद्र से चुपके से समझौता करती हैं।
  4. सौरव गांगुली से संबंध:
    X.com पर एक अफवाह थी कि ममता गांगुली के साथ विदेश यात्राएँ करती हैं और उन्हें 350 एकड़ जमीन दी। यह सत्यापित नहीं है।
  5. TMC में दरार:
    2025 के लीक वीडियो ने ममता-अभिषेक के बीच मतभेद की अफवाह फैलाई। X.com पर इसे “TMC का अंत” कहा गया।
  6. इस्लामिक जिहादियों को समर्थन:
    X.com पर कुछ यूजर्स ने ममता पर “रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों” को वोट बैंक के लिए समर्थन देने का आरोप लगाया। ये दावे सत्यापित नहीं हैं।

X.com पर विश्लेषण

X.com पर ममता को लेकर ध्रुवीकृत राय है:

  • आलोचना: बीजेपी समर्थक उन्हें RG कर कांड, शिक्षक घोटाले, और हिंसा के लिए निशाना बनाते हैं। कुछ ने उनके शासन को “जंगल राज” कहा।
  • समर्थन: TMC समर्थक उन्हें “बंगाल की शेरनी” कहते हैं, जो अल्पसंख्यकों और गरीबों की रक्षा करती हैं।
  • ध्रुवीकरण: ममता की छवि X.com पर बँटी हुई है। जहाँ कुछ उन्हें भ्रष्ट मानते हैं, वहीं अन्य उनकी बंगाली अस्मिता और कल्याणकारी नीतियों की तारीफ करते हैं।

निष्कर्ष

ममता बनर्जी बंगाल की सियासत में एक ताकतवर और विवादास्पद शख्सियत हैं। उनके चुनावी प्रभाव ने TMC को महिलाओं, अल्पसंख्यकों, और ग्रामीण मतदाताओं का मजबूत आधार दिया। “लक्ष्मीर भंडार” और बंगाली अस्मिता जैसे हथियारों ने उन्हें 2011, 2016, 2021, और 2024 में जीत दिलाई। लेकिन वोटर लिस्ट हेरफेर, बूथ कैप्चरिंग, और हिंसा के आरोप उनकी छवि पर सवाल उठाते हैं। शिक्षक घोटाला, RG कर कांड, और संदेशखाली जैसे विवादों ने उनके शासन को चुनौती दी, जबकि सौरव गांगुली और स्वास्थ्य जैसी अफवाहें उनकी चर्चा को और रोचक बनाती हैं। X.com पर उनकी आलोचना और समर्थन बंगाल की ध्रुवीकृत सियासत को दर्शाता है। फिर भी, ममता 2026 के लिए 215+ सीटों का लक्ष्य लेकर बंगाल की सियासत में अपनी बादशाहत कायम रखने को तैयार हैं।

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