भोपाल में एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने सबको हैरान कर दिया। मध्य प्रदेश के जंगल और वन विभाग के 125 IFS (भारतीय वन सेवा) अफसरों पर भ्रष्टाचार के गंभीर इल्जाम लगे हैं। ये बात किसी अफवाह से नहीं, बल्कि ठोस सबूतों के साथ सामने आई है। इन अफसरों पर आरोप है कि ये लोग अपने पद का गलत फायदा उठाकर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
क्या है पूरा माजरा?
दरअसल, ये मामला तब उजागर हुआ जब वन विभाग के कुछ ईमानदार लोगों ने इस गोरखधंधे की पोल खोल दी। सूत्रों की मानें तो इन अफसरों ने नियम-कायदों को ताक पर रखकर निजी फायदे के लिए जंगल की संपदा को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कई बड़े अफसरों पर रिश्वतखोरी और गैरकानूनी कामों को अंजाम देने का इल्जाम है।
जंगल की हिफाजत या लूट का धंधा?
जिन अफसरों को जंगल और वन्यजीवों की रक्षा की जिम्मेदारी दी गई थी, वही अब उनकी बर्बादी का कारण बन रहे हैं। लकड़ी की तस्करी से लेकर जमीन के अवैध सौदों तक, इनके कारनामों की लिस्ट लंबी है। ऐसा लगता है कि इनके लिए वन विभाग नौकरी नहीं, बल्कि कमाई का जरिया बन गया है।
अब आगे क्या होगा?
इस खुलासे के बाद सरकार और जनता के बीच हलचल मच गई है। लोग मांग कर रहे हैं कि इन भ्रष्ट अफसरों पर सख्त कार्रवाई हो। विभाग ने जांच शुरू करने का भरोसा दिलाया है, लेकिन सवाल ये है कि क्या सच में कुछ बदलेगा? पहले भी ऐसे मामले आए, पर नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा।
जनता का गुस्सा और उम्मीद
आम लोग इस खबर से गुस्से में हैं। सोशल मीडिया पर भी ये मुद्दा छाया हुआ है। लोग कह रहे हैं कि अगर जंगल बचाने वाले ही उसे लूट लेंगे, तो फिर प्रकृति का क्या होगा? सबकी नजर अब इस बात पर है कि सरकार इस बार कितनी सख्ती दिखाती है।
अब देखना ये है कि ये मामला सिर्फ कागजों तक सीमित रहता है या फिर सच में कुछ बड़ा बदलाव देखने को मिलता है। तब तक ये खबर सबके लिए एक सबक है कि भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हो सकती हैं।
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