DMK ने अपना रुख कायम रखा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने मंगलवार को तमिलनाडु सरकार से प्राप्त एक पत्र साझा किया, जिसमें प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (PM SHRI) योजना को लेकर चर्चा की गई है। इस पत्र के सामने आने के बाद सत्तारूढ़ डीएमके (DMK) सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए केंद्र की इस योजना पर अपनी आपत्तियां बरकरार रखी हैं।
क्या है पीएम श्री स्कूल योजना?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई PM SHRI स्कूल योजना का उद्देश्य देशभर में 14,500 से अधिक मॉडल स्कूलों की स्थापना करना है। इस योजना के तहत नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा दी जाएगी और छात्रों को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाएगा।
तमिलनाडु सरकार का विरोध क्यों?
तमिलनाडु की डीएमके सरकार शुरू से ही नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 का विरोध करती रही है। उनका कहना है कि:
यह योजना राज्य के अधिकारों का उल्लंघन करती है और केंद्र सरकार शिक्षा के क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रही है।
तमिल भाषा और राज्य की पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है।
राज्य पहले से ही अपने सार्वजनिक स्कूलों में सुधार की दिशा में काम कर रहा है, ऐसे में केंद्र की योजना की जरूरत नहीं है।
केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने तमिलनाडु सरकार के पत्र को साझा करते हुए कहा कि राज्य ने पीएम श्री स्कूलों में शामिल होने की रुचि दिखाई है, लेकिन डीएमके सरकार इस पर राजनीतिक रुख अपना रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि डीएमके सरकार केंद्र की किसी भी पहल का राजनीतिक विरोध कर रही है, जिससे छात्रों को लाभ मिलने में बाधा आ रही है।
डीएमके का जवाब
डीएमके नेताओं ने केंद्रीय मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि:
राज्य अपनी शिक्षा नीति के तहत स्कूलों को बेहतर बनाने के लिए स्वतंत्र है और इसमें केंद्र का हस्तक्षेप अस्वीकार्य है।
तमिलनाडु सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि वह नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 को स्वीकार नहीं करेगी और अपने स्वयं के सुधार कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करेगी।
आगे क्या होगा?
तमिलनाडु में पीएम श्री स्कूल योजना को लागू करने को लेकर अब केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव बढ़ सकता है।
अगर तमिलनाडु इस योजना को स्वीकार नहीं करता, तो राज्य के सरकारी स्कूल इस योजना के तहत मिलने वाले फंड और सुविधाओं से वंचित रह सकते हैं।
केंद्र सरकार राज्य सरकार को मनाने के लिए आगे बातचीत कर सकती है, लेकिन डीएमके अपने रुख पर अड़ी हुई है।
अब यह देखना होगा कि तमिलनाडु सरकार इस मुद्दे पर क्या अगला कदम उठाती है और क्या केंद्र व राज्य सरकार के बीच कोई सहमति बनती है या यह विवाद और गहरा होता है।