दंतेवाड़ा: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों की दहशत का एक और मामला सामने आया है। बारसूर थाना क्षेत्र के तुषवाल पंचायत के तोड़मा और कोहकाबेड़ा गांव के आठ परिवारों को नक्सलियों ने जान से मारने की धमकी देकर गांव से बेदखल कर दिया। डर के कारण ये परिवार गांव छोड़कर बस्तर जिले के किलेपाल और वाहनपुर गांव में शरण लेने पहुंचे हैं।

नक्सलियों ने जन अदालत लगाकर सुनाया फरमान
मिली जानकारी के अनुसार, तीन दिन पहले नक्सलियों ने गांव में जन अदालत लगाई थी। करीब 50 की संख्या में पहुंचे माओवादियों ने आरोप लगाया कि ये परिवार पुलिस के मुखबिर हैं और उनकी गतिविधियों की जानकारी सुरक्षा बलों को दे रहे हैं। इसी आरोप के चलते नक्सलियों ने सभी परिवारों को गांव छोड़ने का फरमान जारी कर दिया।
सीमा पर बसे गांव के लोग लगातार नक्सलियों के निशाने पर
दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों की सीमा पर बसे तुषवाल पंचायत के इन परिवारों को पिछले कुछ दिनों से लगातार धमकियां मिल रही थीं। नक्सली पुलिस मुखबिरी के शक में गांव के लोगों को निशाना बना रहे हैं, जिससे ग्रामीण भयभीत होकर अपना घर छोड़ने को मजबूर हैं।

पीड़ित परिवारों का दर्द
गांव छोड़ने पर मजबूर पीड़ित परिवारों का कहना है कि वे अपना घर-बार छोड़कर जंगलों में भटकने को मजबूर हो गए हैं। माओवादी उनकी पूरी जिंदगी उजाड़ रहे हैं। उन्होंने प्रशासन और पुलिस से मदद की गुहार लगाई है ताकि वे अपने गांव वापस लौट सकें और सुरक्षित जीवन जी सकें।
पुलिस की प्रतिक्रिया
पुलिस प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लिया है और पूरे घटनाक्रम की जांच कर रही है। स्थानीय सुरक्षा बल भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और बेघर हुए परिवारों को सहायता उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहे हैं।
नक्सली हिंसा का बढ़ता दायरा
इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि नक्सली आम ग्रामीणों को जबरन अपनी विचारधारा थोपने के लिए मजबूर कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन इन पीड़ित परिवारों को वापस उनके गांव में सुरक्षित बसा पाएगा?





