23 फरवरी 2025 को दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में होने वाला भारत-पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी मुकाबला एक बार फिर दोनों देशों के बीच की ऐतिहासिक राइवलरी को जीवंत करेगा। आज जब रोहित शर्मा, विराट कोहली, बाबर आज़म, और शाहीन अफरीदी जैसे नाम सुर्खियों में हैं, तो कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जिन्होंने कभी इन मुकाबलों को अपने प्रदर्शन से रोशन किया था, लेकिन अब उन्हें वक्त की धूल ने ढक दिया है। ये हैं भारत-पाकिस्तान मैचों के भूल गए हीरो—वो नायक, जिनके कारनामों ने कभी फैंस के दिलों की धड़कनें बढ़ाई थीं, पर आज उनकी कहानियाँ गुमनामी के साये में खो गई हैं। आइए, इन अनसुने सितारों की यादों को ताज़ा करें और उनके योगदान को फिर से जीवंत करें।
मोहिंदर अमरनाथ: 1983 का शांत योद्धा
1983 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत की ऐतिहासिक जीत की बातें आज भी होती हैं, लेकिन उस टूर्नामेंट में पाकिस्तान के खिलाफ मोहिंदर अमरनाथ का योगदान अक्सर अनदेखा रह जाता है। ग्रुप स्टेज में पाकिस्तान के खिलाफ मुकाबले में मोहिंदर ने 44 रन बनाए और 2 अहम विकेट लिए, जिसने भारत को जीत की राह पर डाला। उनकी शांत लेकिन प्रभावी शैली ने उस दौर में टीम को मज़बूती दी। फिर भी, आज जब 1983 की बात होती है, तो कपिल देव और रोजर बिन्नी के नाम ही ज़्यादातर ज़ुबान पर आते हैं। मोहिंदर, जिन्हें “जिमी” कहा जाता था, अब क्रिकेट की चकाचौंध से दूर एक शांत ज़िंदगी बिता रहे हैं, और उनके इस योगदान को कम ही याद किया जाता है।
अब्दुल कादिर: फिरकी का भूला हुआ जादूगर
पाकिस्तान के लेग-स्पिनर अब्दुल कादिर 1980 के दशक में भारत के खिलाफ कई बार कहर बनकर टूटे। 1987 में शारजाह में खेले गए एक वनडे में कादिर ने अपनी फिरकी से भारतीय बल्लेबाज़ों को चकमा दिया और 4 विकेट झटके। उनकी गेंदों का जादू ऐसा था कि सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज भी उनके सामने घुटने टेकते थे। लेकिन आज जब स्पिन की बात होती है, तो शेन वॉर्न या अनिल कुंबले जैसे नाम छा जाते हैं। कादिर, जिनका 2019 में निधन हो गया, अब क्रिकेट इतिहास के उन पन्नों में खो गए हैं, जिन्हें शायद ही कोई पलटता हो।
चेतन शर्मा: हैट्रिक का अनसुना नायक
1987 वर्ल्ड कप में चेतन शर्मा ने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ हैट्रिक लेकर सुर्खियाँ बटोरीं, लेकिन भारत-पाकिस्तान मुकाबलों में उनका योगदान भी कम नहीं था। 1985 में शारजाह में खेले गए एक मैच में चेतन ने अपनी स्विंग से इमरान खान और जावेद मियाँदाद जैसे बल्लेबाज़ों को पवेलियन भेजा। उनकी गति और सटीकता ने उस दिन भारत को जीत दिलाई। लेकिन 1986 में मियाँदाद के उस मशहूर छक्के ने चेतन की छवि को धूमिल कर दिया, और उनकी दूसरी उपलब्धियाँ धीरे-धीरे भुला दी गईं। आज वे कभी-कभार कमेंट्री में नज़र आते हैं, लेकिन उनके सुनहरे पल यादों से गायब हो चुके हैं।
मुश्ताक अहमद: 1996 का छुपा सितारा
1996 वर्ल्ड कप के क्वार्टर फाइनल में भारत ने पाकिस्तान को बेंगलुरु में हराया था। उस मैच में सचिन तेंदुलकर और नवजोत सिद्धू की बल्लेबाज़ी की चर्चा तो खूब हुई, लेकिन पाकिस्तान के मुश्ताक अहमद ने भी अपनी फिरकी से कमाल दिखाया था। उन्होंने 56 रन देकर 2 विकेट लिए, जिसमें सिद्धू का अहम विकेट शामिल था। उनकी गूगली और फ्लाइट ने उस दिन भारतीय बल्लेबाज़ों को परेशान किया, लेकिन हार के बाद उनका प्रदर्शन छिप गया। मुश्ताक बाद में कोचिंग में सक्रिय रहे, लेकिन एक खिलाड़ी के तौर पर उनकी पहचान अब धूमिल पड़ चुकी है।
अजय जडेजा: 1996 का अनदेखा तूफान
उसी 1996 क्वार्टर फाइनल में अजय जडेजा ने वकार यूनुस की गेंदों पर 40 रन ठोककर भारत को जीत के करीब पहुँचाया। उनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी ने उस दिन स्टेडियम में आग लगा दी थी। लेकिन सचिन की 90 रन की पारी और कुंबले की गेंदबाज़ी ने सारी सुर्खियाँ बटोर लीं। जडेजा का यह योगदान धीरे-धीरे फैंस की यादों से मिट गया। बाद में फिक्सिंग विवाद में फँसने के कारण उनकी छवि को और नुकसान हुआ, और आज वे सिर्फ कमेंट्री बॉक्स तक सीमित रह गए हैं।
यादों से गायब होने की वजह
इन खिलाड़ियों को भुला दिए जाने की कई वजहें हैं। पहली, क्रिकेट का बदलता स्वरूप—आज का खेल टी20 और हाई-स्कोरिंग पारियों का है, जबकि पहले के खिलाड़ी संयम और तकनीक के लिए जाने जाते थे। दूसरी, मीडिया और सोशल मीडिया का प्रभाव—नए सितारे जैसे कोहली और बाबर हर दिन चर्चा में रहते हैं, जबकि पुराने खिलाड़ियों की कहानियाँ पीछे छूट जाती हैं। तीसरी, बड़े पलों का बोलबाला—मियाँदाद का छक्का या सचिन की शतकीय पारी जैसे क्षण इतने यादगार बन जाते हैं कि बाकी योगदान उनके साये में दब जाते हैं।
अनसुनी कहानियों का महत्व
ये भूल गए हीरो सिर्फ अतीत के आँकड़े नहीं हैं। इनकी कहानियाँ उस दौर की मेहनत, जुनून, और राइवलरी की गवाह हैं। मोहिंदर की शांति, कादिर की फिरकी, चेतन की स्विंग, मुश्ताक की चालाकी, और जडेजा की हिम्मत—ये सब भारत-पाकिस्तान मुकाबलों के इतिहास का हिस्सा हैं। इनके बिना यह राइвалरी अधूरी है। आज जब हम नए सितारों की तारीफ करते हैं, तो इन पुराने नायकों को याद करना भी ज़रूरी है, क्योंकि ये वही लोग हैं, जिन्होंने इस जंग को अपनी मेहनत से रोमांचक बनाया।
23 फरवरी को जब भारत और पाकिस्तान फिर से आमने-सामने होंगे, तो स्टेडियम में नए सितारे चमकेंगे। लेकिन एक पल के लिए उन भूल गए हीरोज़ को भी याद कर लें, जिनके कंधों पर आज का क्रिकेट खड़ा है। मोहिंदर अमरनाथ, अब्दुल कादिर, चेतन शर्मा, मुश्ताक अहमद, और अजय जडेजा जैसे खिलाड़ियों ने कभी भारत-पाकिस्तान मैचों को अपने प्रदर्शन से जीवंत किया था। उनकी कहानियाँ अब भले ही धूमिल पड़ गई हों, लेकिन ये हमारे क्रिकेट इतिहास के वो अनमोल रत्न हैं, जिन्हें भुलाना नहीं चाहिए। अगली बार जब आप इस राइवलरी का लुत्फ उठाएँ, तो इन अनसुने नायकों को भी एक सलाम ज़रूर दें—क्योंकि ये वही हैं, जिन्होंने इस जंग को शुरू किया था।
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