अजमेर दरगाह में मंदिर होने के दावे के बीच पीएम मोदी ने अजमेर शरीफ की दरगाह पर चादर भेजी है। पीएम मोदी कई सालों से चादर पेश कर रहे है। जो सिलसिला इस साल भी कायम है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से चादर लेकर अजमेर शरीफ दरगाह पहुंचे हैं। पूरी दुनिया में भाईचारे इंसानियत और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए विख्यात राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 813 वें सालाना उर्स के मौके पर शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से चादर पेश की गई।
यहां सर्किट हाउस में अजमेर के भाजपा नेताओं की ओर से उनका भव्य स्वागत किया गया। अजमेर की दरगाह में भी दरगाह कमेटी और खादिमों की संस्थाएं अंजुमन की ओर से भी प्रधानमंत्री की भेजी चादर का स्वागत किए जाने का एक दिन पूर्व ही पदाधिकारियों ने एलान किया था। उधर, राष्ट्रीय हिन्दू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने को लेकर सिविल न्यायालय में दायर वाद पर विवाद कायम बना हुआ है।
हिन्दू सेना के अध्यक्ष और हिन्दू धर्म सभा के पदाधिकारी सेवानिवृत्त न्यायाधीश अजय शर्मा ने दो बार प्रधानमंत्री को उर्स के मौके पर इस बार चादर नहीं भेजने को पत्र लिखा था। इधर, दरगाह में जायरीन की आवक बढ़ने उर्स की रौनक बढ़ने लगी है और दरगाह में उर्स की रसूमात धूमधाम से मनाई जा रही है। जनवरी महीने की 7 तारीख को उर्स की आध्यात्मिक रसूमात के तहत छठी होगी। उस दिन छोटे कुल की रस्म अदा होगी। वहीं 10 जनवरी को बड़े कुल पर दरगाह शरीफ को इत्र, केवड़े व गुलाब जल के छींटे से धोया जाएगा और इसके साथ ही उर्स की धार्मिक औपचारिक समापन हो जाएगा।
देश में सद्भाव कायम रहे…
इस बीच उर्स में देश दुनिया के बड़े नामचीन लोगों की ओर से चादर चढ़ाने का सिलसिला जारी है। उर्स के चलते दरगाह सहित पूरे शहर में देश के विभिन्न राज्यों से आए जायरीन की चहल पहल बढ़ गई है और दरगाह में उर्स के तहत मन्नतें मांगने, चादर चढ़ाने और अकीदत के फूल पेश करने का सिलसिला जारी है। उर्स में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से शनिवार को सुबह चादर पेश की गई। केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात कार्य मंत्री किरन रिजिजू प्रधानमंत्री की तरफ से ख्वाजा साहब की पवित्र मजार पर चादर पेश की।
इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, शहर जिलाध्यक्ष रमेश सोनी सहित अनेक भाजपा नेता उनके साथ थे। दरगाह के बाहर किरेन रिजिजू का काफिला पहुंचते ही भाजपाइयों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। रिजिजू ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से चादर चढ़ाना पूरे देश की ओर से चादर चढ़ाने जैसा है। उन्होंने कहा कि देश में सद्भाव और भाईचारे का माहौल बना रहे। गरीब नवाज की दरगाह पर लाखों जायरीन आते हैं, जिनके लिए नई सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
‘हमारी संस्कृति की अनेकता में एकता को दर्शाता है’
रिजिजू ने कहा कि दरगाह पर उर्स के दौरान आना हमारी परंपरा है। यह सद्भाव और भाईचारे का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि वे हजरत निजामुद्दीन की दरगाह पर भी चादर चढ़ा कर दुआ मांग कर आए है। गरीब नवाज की दरगाह पर सभी समुदायों के लोग आते हैं और दुआ मांगते हैं। यह हमारी संस्कृति की अनेकता में एकता को दर्शाता है।
वेबपोर्टल का उद्घाटन
मंत्री रिजिजू ने इस मौके पर अजमेर दरगाह पर गरीब नवाज ऐप और एक वेब पोर्टल का शुभारंभ भी किया। इस पोर्टल पर ख्वाजा साहब के जीवन परिचय के साथ दरगाह की सुविधाओं, गेस्टहाउस बुकिंग और सीधा प्रसारण की जानकारी दी गई है। अब जायरीन को दरगाह संबंधित जानकारी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।
पहली तारीख से शुरू हुआ उर्स
ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स छह दिन तक चलता है। 813 वर्ष पूर्व रजब की पहली तारीख को ख्वाजा साहब इबादत के लिए अपनी कोठरी में चले गए और अपने मुरीदों को निर्देश दिए कि उन्हें इबादत के बीच आवाज़ नहीं दी जाए, जब छह दिन तक जब वे बाहर नहीं आए तो उनके मुरीदों ने कोठरी खोल कर देखा तो ख्वाजा साहब का इंतकाल हो चुका था। इस कारण ख्वाजा साहब का उर्स छह दिन तक मनाने की परंपरा हैं।
जायरीन की होती है गहरी आस्था
ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति आस्था महज मुसलमानों की नहीं है बल्कि सभी धर्म के लोग दरगाह शरीफ की चौखट चूम कर श्रद्धा और विश्वास के साथ शीश झुकाते हैं और मन की मुरादे भी पाते हैं। यूं तो ख्वाजा साहब की दरगाह में जायरीन के आने का सिलसिला वर्ष पर्यंत बना रहता है लेकिन उर्स का मौका कुछ खास होता है। यही कारण है कि प्रत्येक जायरीन की इच्छा उर्स के दौरान दरगाह के आस्थाने शरीफ पर माथा टेकने और मजार शरीफ पर अकीदत के फूल पेश करने की रहती है।