30 घंटे की सतत मॉनिटरिंग, 70+ कैमरों का विश्लेषण और 4 टीमों की संयुक्त कार्रवाई
मध्यप्रदेश पुलिस ने पुनः यह साबित किया है कि संवेदनशील प्रकरणों में त्वरित प्रतिक्रिया, समन्वय और तकनीकी दक्षता से किसी भी चुनौती को शीघ्रता से हल किया जा सकता है। इसी क्रम में पुलिस अधीक्षक श्री संतोष कोरी के कुशल निर्देशन में सीधी पुलिस ने रीवा पुलिस के सहयोग से 7 वर्षीय मासूम प्रिंस कोल को मात्र 30 घंटे की अथक मॉनिटरिंग और 70 से अधिक कैमरों के विश्लेषण के बाद रीवा से सुरक्षित बरामद कर परिजनों को सौंपा।
14 नवंबर 2025 की रात्रि 09:30 बजे फरियादिया श्रीमती अन्नू रावत पति परदेशी रावत निवासी ग्राम ममदर ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनका बेटा खेलते-खेलते अचानक गायब हो गया है। प्रारंभिक जाँच में पता चला कि ग्राम का ही दीपक कोल मछली बेचने का लालच देकर बालक को अपने साथ ले गया था, जिसके आधार पर थाना रामपुर नैकिन पुलिस ने बीएनएस का अपराध दर्ज कर वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत कराया।

प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक ने तत्काल थाना प्रभारी के नेतृत्व में चार टीमों का गठन किया। रियल-टाइम मॉनिटरिंग, लोकेशन ट्रैकिंग और मुखबिर नेटवर्क के सटीक उपयोग से लगातार अपडेट लेते हुए ऑपरेशन को पेपरलेस कमांड सिस्टम पर संचालित किया गया। टीमों ने ग्राम से निकलने वाले मार्गों पर लगे कैमरों से लेकर रीवा शहर तक के 70 से अधिक कैमरों का सूक्ष्म विश्लेषण किया।
🚨 सीधी पुलिस की बड़ी सफलता
— SP_Sidhi_MP (@sp_sidhi) November 16, 2025
30 घंटे की लगातार खोजबीन, 70+ CCTV फुटेज विश्लेषण और 4 टीमों की संयुक्त कार्रवाई से
7 वर्षीय मासूम को रीवा से सकुशल बरामद किया गया।@CMMadhyaPradesh @mohdept @DGP_MP @IG_Rewa @DigRewa @MPPoliceDeptt pic.twitter.com/8ZJjsT45Xh
लगातार प्रयासों के बाद रात 9 बजे आरोपी का एक संदिग्ध फुटेज मिला, जिसके आधार पर टीमें सक्रिय हुईं और रात 11 बजे रीवा बस स्टैंड प्रतीक्षालय में आरोपी और बालक दोनों को सूझबूझ से घेराबंदी कर पकड़ लिया गया।
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह नशे का आदी है और मजदूरी से बचते हुए बच्चे से कोई काम करवाकर पैसा कमाने की मंशा रखता था। आरोपी के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जा रही है।
इस कार्यवाही से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश पुलिस ने बालक-बालिकाओं की सुरक्षा, पुनर्वास एवं सम्मान सुनिश्चित करने में अत्यधिक संवेदनशीलता और सक्रियता दिखाई है। पुलिस ने न केवल तकनीकी साधनों का उपयोग किया, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए हर संभव सहायता प्रदान की।





