Mohit Jain
देवउठनी एकादशी जिसे प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागते हैं और चातुर्मास का समापन होता है। धार्मिक मान्यता है कि इसी दिन से सभी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन आदि दोबारा शुरू किए जाते हैं। यह एकादशी वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण एकादशी मानी जाती है और इसे रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
देवउठनी एकादशी कब है

पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 1 नवंबर 2025 को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी और 2 नवंबर 2025 को सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में सूर्योदय के अनुसार व्रत 1 नवंबर 2025, शनिवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन श्रद्धालु स्नान, पूजन और व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु की उपासना करते हैं।
देवउठनी एकादशी पर क्या खाएं
देवउठनी एकादशी का व्रत सात्विक और नियमपूर्वक किया जाता है। इस दिन फल, सूखे मेवे, आलू, शकरकंद, अरबी और साबूदाने का सेवन किया जा सकता है। सिंघाड़े, कुट्टू और राजगीरे के आटे से बनी पूड़ी, पराठा या पकौड़ी खाई जाती है। दूध, दही, छाछ, घी और पनीर का सेवन भी व्रत में शुभ माना गया है। व्रत के दौरान सेंधा नमक, काली मिर्च, अदरक और जीरा जैसे सात्विक मसालों का ही प्रयोग किया जाता है।
देवउठनी एकादशी पर क्या नहीं खाएं

इस व्रत के दौरान गेहूं, जौ, मक्का, बाजरा और दालों का सेवन वर्जित होता है। प्याज, लहसुन, मांस, मछली और शराब का सेवन भी पूरी तरह निषिद्ध माना गया है। सामान्य नमक का प्रयोग नहीं किया जाता। इसके अलावा गोभी, गाजर, बैंगन, पालक और शलजम जैसी सब्जियों को भी नहीं खाना चाहिए क्योंकि इन्हें तामसिक माना गया है।
देवउठनी एकादशी व्रत के नियम
देवउठनी एकादशी के दिन प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस व्रत में मन, वचन और कर्म से ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और किसी की निंदा या झूठ बोलने से बचना चाहिए। व्रत के दौरान दिनभर भगवान का नाम जप करते हुए रात्रि में जागरण करना चाहिए। द्वादशी तिथि को शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण किया जाता है। पारण के समय चावल और तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
धार्मिक महत्व और लाभ
पौराणिक मान्यता है कि देवउठनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस दिन व्रत और पूजन करने से व्यक्ति के रुके हुए कार्य पूरे होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।





