BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली | अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट की एक नई इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट ने भारतीय वित्तीय जगत में हलचल मचा दी है। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने सरकारी अधिकारियों के निर्देश पर अदानी समूह की कंपनियों में लगभग 3.9 अरब डॉलर (करीब 32,000 करोड़ रुपये) का निवेश किया।
अख़बार के अनुसार, यह निवेश किसी सामान्य व्यावसायिक निर्णय का हिस्सा नहीं था, बल्कि कथित तौर पर एक “सरकारी दबाव में बनाई गई रणनीति” के तहत हुआ। रिपोर्ट में आंतरिक दस्तावेज़ों और ईमेल संवादों का हवाला देते हुए कहा गया है कि एलआईसी प्रबंधन को इस निवेश को मंजूरी देने के लिए बाध्य किया गया था।
विपक्ष का हमला: “जनधन से कारपोरेट को फायदा”
रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी और कई विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस नेताओं ने इसे “जनता के पैसों का कॉर्पोरेट लाभ के लिए दुरुपयोग” बताते हुए मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) और लोक लेखा समिति (पीएसी) से जांच कराने की मांग की है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा, “अगर सरकारी दबाव में एलआईसी को किसी निजी समूह में भारी निवेश करने के लिए मजबूर किया गया, तो यह न केवल निवेशकों के हितों के खिलाफ है बल्कि संस्थागत स्वायत्तता पर भी सवाल उठाता है।”
एलआईसी का जवाब: “आरोप बेबुनियाद और भ्रामक”
विवाद गहराने के बाद एलआईसी ने एक आधिकारिक बयान जारी कर वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट को “भ्रामक, तथ्यहीन और निराधार” बताया। कंपनी ने कहा, “हमारे सभी निवेश नियमों और पेशेवर विश्लेषण के आधार पर किए जाते हैं। एलआईसी ने किसी भी बाहरी दबाव या अनुचित प्रभाव में आकर कोई निर्णय नहीं लिया है। अदानी समूह में निवेश हमारे पोर्टफोलियो रणनीति का हिस्सा था, जो दीर्घकालिक लाभ और स्थिरता को ध्यान में रखकर किया गया।”
अदानी समूह पर पहले भी लग चुके हैं आरोप
यह पहली बार नहीं है जब अदानी समूह पर वित्तीय अनियमितताओं को लेकर सवाल उठे हों। इससे पहले 2023 में अमेरिकी शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट ने भी समूह पर “स्टॉक मैनिपुलेशन और लेखा गड़बड़ी” के आरोप लगाए थे, जिससे कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट आई थी। हालांकि, अदानी समूह ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया था।





