BY: Yoganand Shrivastva
रायचूर, कर्नाटक: मुहर्रम के अवसर पर रायचूर जिले के यारागुंटी गांव से एक दिल दहला देने वाला हादसा सामने आया है। मुहर्रम के लिए तैयार किए गए आग के प्रतीकात्मक घेरे में अचानक एक व्यक्ति गिर गया, जिससे उसकी झुलसकर मौत हो गई। मृतक की पहचान हनुमंत नामक 40 वर्षीय व्यक्ति के रूप में हुई है।
आग की लपटों में समाया जुलूस का हिस्सा
जानकारी के अनुसार, मुहर्रम के जुलूस के दौरान जब धार्मिक प्रतीक के रूप में आग के घेरे का प्रदर्शन किया जा रहा था, उसी दौरान हनुमंत अनजाने में उस घेरे के भीतर गिर गया। मौके पर मौजूद लोग तत्काल उसे लिंगसुगुर सरकारी अस्पताल लेकर पहुँचे, लेकिन चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
लिंगसुगुर पुलिस ने घटना की पुष्टि की है और आगे की कानूनी प्रक्रिया जारी है।
दरभंगा (बिहार) में भी मुहर्रम के जुलूस में हादसा
मुहर्रम के दिन ही बिहार के दरभंगा जिले में एक और हादसे ने लोगों को झकझोर दिया। यहां ताजिया जुलूस के दौरान एक हाईटेंशन तार से ताजिया का संपर्क हो गया, जिससे विद्युत प्रवाह पूरी संरचना में दौड़ गया। इस हादसे में 24 लोग घायल हुए, जबकि एक व्यक्ति की मौत हो गई। घायलों को स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
मुहर्रम का धार्मिक महत्व
मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर का पहला महीना है और इसकी दसवीं तारीख को ‘आशूरा’ कहा जाता है। यह दिन खासतौर पर शिया मुसलमानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों ने 680 ईस्वी में कर्बला के मैदान में अत्याचारी शासक यज़ीद के खिलाफ संघर्ष करते हुए शहादत दी थी।
यह बलिदान अन्याय के खिलाफ खड़े होने, सत्य की रक्षा करने और मानवता की खातिर आत्मबलिदान का प्रतीक माना जाता है।
🕯 कैसे मनाते हैं मुहर्रम?
- शिया समुदाय मातम मनाते हैं, मजलिसें करते हैं, ताजिए निकालते हैं और खुद को कर्बला की याद दिलाते हैं।
- कई श्रद्धालु रोज़ा रखते हैं और दान-दक्षिणा करते हैं।
- सुन्नी समुदाय भी मुहर्रम को पवित्र मानते हैं, हालांकि उनके लिए यह दिन उतना शोकाकुल नहीं होता।
कुछ मुस्लिम समुदायों में यह भी माना जाता है कि आशूरा के दिन हजरत मूसा और उनके अनुयायियों को फिरऔन से छुटकारा मिला था, और इस वजह से इस दिन रोजा रखने की परंपरा भी है।
प्रशासन और आयोजन पर उठे सवाल
कर्नाटक और बिहार में हुए हादसों ने आयोजकों और प्रशासनिक सतर्कता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा मानकों को और मजबूत करने की आवश्यकता अब और अधिक महसूस की जा रही है।