मध्य प्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति दे दी है। अब महिलाएं राज्य के मॉल, फैक्ट्रियों, बाजारों और शोरूम में रात 9 बजे से सुबह 7 बजे तक काम कर सकेंगी। हालांकि, इस फैसले के साथ कुछ अहम शर्तें भी जुड़ी हुई हैं, जिनका पालन कंपनियों और संस्थानों को करना अनिवार्य होगा।
इस अधिसूचना के जरिए सरकार का उद्देश्य महिलाओं की कार्यक्षमता को बढ़ावा देना और रोजगार के नए अवसर खोलना है। लेकिन सुरक्षा, सुविधा और संवेदनशीलता को प्राथमिकता देते हुए यह अनुमति शर्तों के साथ दी गई है।
किन शर्तों के साथ दी गई है नाइट शिफ्ट की अनुमति?
महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की इजाजत कुछ जरूरी नियमों और सुरक्षा उपायों के साथ दी गई है:
1. लिखित सहमति अनिवार्य
- महिला कर्मचारी से उसकी लिखित अनुमति लेनी होगी कि वह नाइट शिफ्ट में काम करने के लिए तैयार है।
2. सुरक्षित यात्रा की सुविधा
- महिलाओं को रात के समय घर से कार्यस्थल तक आने-जाने के लिए वाहन सुविधा देना कंपनी की जिम्मेदारी होगी।
3. स्वच्छता और आराम की सुविधा
- कार्यस्थल पर अलग टॉयलेट और विश्राम कक्ष (Rest Room) की व्यवस्था होनी चाहिए।
4. रोशनी और निगरानी का इंतजाम
- काम की जगह और उसके आसपास पर्याप्त रोशनी और CCTV कैमरे होने जरूरी हैं।
5. सुरक्षा गार्ड की तैनाती
- महिलाओं के कार्यस्थल तक पहुंचने वाले रास्तों पर सुरक्षा गार्डों की मौजूदगी अनिवार्य होगी।
6. कार्यस्थल का सुरक्षित माहौल
- यह सुनिश्चित करना मालिक की जिम्मेदारी होगी कि कार्यस्थल पर महिलाओं को असहज या असुरक्षित महसूस न हो।
7. लैंगिक उत्पीड़न से सुरक्षा
- सभी संस्थानों को ‘लैंगिक उत्पीड़न निवारण अधिनियम’ के सभी नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।
8. मैटरनिटी लीव का अधिकार सुरक्षित
- कोई भी महिला कर्मचारी मातृत्व अवकाश (Maternity Leave) से वंचित नहीं की जा सकती।
9. न्यूनतम महिला उपस्थिति
- जहां महिलाएं नाइट शिफ्ट में काम कर रही हैं, वहां कम से कम 10 महिला कर्मचारी मौजूद होनी चाहिए।
- फैक्ट्रियों और प्रोडक्शन यूनिट्स में, सुपरवाइजर समेत कम से कम एक-तिहाई महिलाएं स्टाफ में होनी चाहिए।
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पुराना नियम जो अब हटा दिया गया
बता दें कि 26 जून 2016 को राज्य सरकार ने एक नियम को हटाया था, जिसके तहत महिलाएं रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक किसी फैक्ट्री या प्रोडक्शन यूनिट में काम नहीं कर सकती थीं। अब ‘कारखाना अधिनियम’ के अंतर्गत सरकार ने एक नई अधिसूचना जारी कर यह बदलाव लागू किया है।
मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम माना जा रहा है। इससे महिलाओं को अधिक रोजगार विकल्प मिलेंगे और वे अधिक स्वतंत्र रूप से कार्यक्षेत्र में भाग ले सकेंगी। हालांकि, इस फैसले की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कंपनियां और संस्थाएं इन शर्तों का कितना गंभीरता से पालन करती हैं।