23 फरवरी 2025 को दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में जब भारत और पाकिस्तान की टीमें ICC चैंपियंस ट्रॉफी के मैदान पर उतरेंगी, तो बल्ले और गेंद की टक्कर के साथ-साथ एक और जंग होगी—संगीत की। ये वो धुनें हैं जो स्टेडियम की हवा में गूंजती हैं, फैन्स के दिलों को जोड़ती हैं, और इस ऐतिहासिक राइवलरी को एक अलग रंग देती हैं। क्रिकेट के इस महामुकाबले में संगीत सिर्फ पृष्ठभूमि नहीं, बल्कि एक भावनात्मक हथियार है जो खिलाड़ियों और दर्शकों को एक साथ बांधता है। आइए, इस अनोखे पहलू की पड़ताल करें।
स्टेडियम में गूंजते राष्ट्रगान
हर भारत-पाकिस्तान मैच की शुरुआत दो शक्तिशाली धुनों से होती है—’जन गण मन’ और ‘पाक सरज़मीं’। दुबई जैसे तटस्थ मैदान पर, जहाँ दोनों देशों के फैन्स की भीड़ एक-दूसरे से टकराती है, ये राष्ट्रगान सिर्फ औपचारिकता नहीं रहते। जब ढाई लाख लोगों की भीड़ एक साथ ‘जन गण मन’ गाती है, तो भारतीय फैन्स के चेहरों पर गर्व की चमक साफ दिखती है। दूसरी तरफ, ‘पाक सरज़मीं’ की धुन पर पाकिस्तानी दर्शक सीना तानकर खड़े होते हैं। ये वो पल है जब क्रिकेट से पहले देशभक्ति की लहर दौड़ पड़ती है। लेकिन इस बार दुबई में, जहाँ प्रवासी भारतीय और पाकिस्तानी एक साथ बैठे होंगे, क्या ये धुनें एकता का संदेश भी देंगी?
भीड़ के नारे: संगीत या शोर?
स्टेडियम में फैन्स के नारे किसी ऑर्केस्ट्रा से कम नहीं। भारतीय दर्शकों का ‘भारत माता की जय’ और ‘सचिन-सचिन’ (भले ही सचिन अब खेलते न हों, उनकी गूंज बरकरार है) एक तरफ, तो दूसरी ओर पाकिस्तानी फैन्स का ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ और ‘शाहीन-शाहीन’ (शाहीन अफरीदी के लिए)। ये नारे सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि एक लय में ढले हुए हैं जो भीड़ को उन्माद में डुबो देते हैं। दुबई में, जहाँ दोनों देशों के प्रवासी समुदाय बराबर तादाद में होंगे, ये नारों की टक्कर एक अनोखा संगीतमय अनुभव बनेगी। क्या भारतीय फैन्स का ‘चक दे इंडिया’ पाकिस्तानी ‘जीवे-जीवे’ को दबा देगा, या दोनों मिलकर एक नया तालमेल बनाएंगे?
खिलाड़ियों की धुन: वॉक-ऑन का जादू
आजकल क्रिकेट में खिलाड़ियों के मैदान पर एंट्री के साथ उनकी पसंदीदा धुनें बजती हैं। कल्पना करें—विराट कोहली जब बैट थामे उतरें और पृष्ठभूमि में ‘स्वीटी तेरा ड्रामा’ की बीट्स गूंजे, तो भारतीय फैन्स का जोश दोगुना हो जाएगा। दूसरी तरफ, बाबर आज़म के लिए अगर कोई उर्दू पॉप या पारंपरिक धुन बजे, तो पाकिस्तानी खेमा तालियों से गूंज उठेगा। ये वॉक-ऑन गाने खिलाड़ियों को मनोवैज्ञानिक बढ़त देते हैं और फैन्स के साथ उनका रिश्ता गहरा करते हैं। इस बार दुबई में इन गानों का चयन क्या होगा? क्या कोहली कोई नया सरप्राइज़ लाएंगे, या बाबर कोई पुरानी याद ताज़ा करेंगे?
ढोल की थाप: प्रवासियों का उत्साह
दुबई में भारत और पाकिस्तान के प्रवासी समुदाय अपने साथ ढोल और ताशे लाते हैं। मैच से पहले और बाद में स्टेडियम के बाहर ढोल की थाप पर नाचते फैन्स इस राइवलरी को उत्सव में बदल देते हैं। भारतीय ढोल की भांगड़ा बीट्स और पाकिस्तानी ढोल की कव्वाली-प्रेरित थाप एक-दूसरे से भिड़ती हैं, लेकिन कहीं न कहीं एक साझा लय भी बनाती हैं। ये संगीत सिर्फ शोर नहीं, बल्कि दोनों देशों की सांस्कृतिक जड़ों का प्रतीक है। क्या इस बार कोई ढोल-युद्ध की वायरल वीडियो सोशल मीडिया पर छा जाएगी?
टीवी पर कमेंट्री का सुर
टीवी पर हिंदी और उर्दू कमेंट्री में संगीत का अपना रंग है। रवि शास्त्री की भारी आवाज़ में ‘ये गेंद सीधे स्टंप्स पर’ या पाकिस्तानी कमेंटेटर का ‘अल्लाह का करम है’—ये वाक्य अपने आप में एक लय बनाते हैं। दुबई में तटस्थ मैदान होने के बावजूद, कमेंट्री की भाषा और उसका संगीतमय अंदाज़ फैन्स को बांटता भी है और जोड़ता भी है। क्या इस बार कोई नया गीत या नारा कमेंट्री से निकलेगा जो फैन्स की ज़ुबान पर चढ़ जाए?
एक साझा धुन की उम्मीद
भारत-पाकिस्तान मैच हमेशा तनाव और उत्साह का मिश्रण रहा है, लेकिन संगीत में एक जादू है जो सीमाओं को मिटा सकता है। दुबई में, जहाँ दोनों देशों के फैन्स कंधे से कंधा मिलाकर बैठेंगे, क्या कोई ऐसा पल आएगा जब दोनों एक साथ एक धुन पर झूमें? शायद ‘दिल दिल पाकिस्तान’ और ‘चक दे इंडिया’ की मिक्स्ड बीट्स का कोई अनोखा माहौल बने। ये क्रिकेट का मैदान है, लेकिन संगीत इसे एक सांस्कृतिक उत्सव बना सकता है।
23 फरवरी 2025 को जब भारत और पाकिस्तान आमने-सामने होंगे, तो गेंद और बल्ले की जंग के साथ-साथ संगीत की लहरें भी इतिहास रचेंगी। राष्ट्रगान की शक्ति, नारों की लय, ढोल की थाप, और खिलाड़ियों की धुनें—ये सब मिलकर इस राइवलरी को सिर्फ खेल से कहीं आगे ले जाएंगे। दुबई का स्टेडियम सिर्फ क्रिकेट का गवाह नहीं, बल्कि एक संगीतमय कहानी का मंच बनेगा। आपकी पसंदीदा धुन कौन सी होगी—’जन गण मन’ की गूंज या ‘पाक सरज़मीं’ का जोश? या शायद दोनों का एक अनोखा संगम?
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