BY: Yoganand Shrivastva
धर्मशाला, दुनिया भर में सम्मानित तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा, जो जल्द ही 90 वर्ष के हो जाएंगे, ने आखिरकार उस सवाल का जवाब दे दिया है, जो वर्षों से उठता रहा है — “अगला दलाई लामा कौन होगा और कब चुना जाएगा?”
अपने उत्तराधिकारी को लेकर जारी अटकलों के बीच दलाई लामा ने स्पष्ट किया है कि उनके निधन के बाद ही अगला दलाई लामा चुना जाएगा। साथ ही उन्होंने इस प्रक्रिया में चीन की किसी भी भूमिका को सिरे से खारिज कर दिया है।
दलाई लामा ने क्या कहा?
धार्मिक नेताओं की एक अंतरराष्ट्रीय बैठक में दिए गए वीडियो संदेश में तेनज़िन ग्यात्सो, जो कि 14वें दलाई लामा हैं, ने कहा:
“मैं एक बार फिर दोहराता हूं कि दलाई लामा के पुनर्जन्म (उत्तराधिकारी) को मान्यता देने का अधिकार केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट को है। किसी अन्य देश या सरकार को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।”
यह बयान उन्होंने अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर भी साझा किया।
चीन को सीधी चेतावनी
दलाई लामा ने चीन पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए यह स्पष्ट किया कि बीजिंग सरकार द्वारा यदि भविष्य में किसी व्यक्ति को “15वां दलाई लामा” घोषित किया जाता है, तो वह मान्य नहीं होगा।
चीन वर्षों से दावा करता रहा है कि दलाई लामा की अगली नियुक्ति में उसका भी अधिकार होना चाहिए। परंतु दलाई लामा ने इस पर दो टूक शब्दों में कहा है कि यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा है, जिसे राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए।
भारत में निर्वासित जीवन: क्यों छोड़ा था तिब्बत?
वर्तमान दलाई लामा वर्ष 1959 से भारत में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। इसकी वजह है 1950 में तिब्बत पर चीन का आक्रमण।
जब तिब्बत पर चीन ने अपना नियंत्रण स्थापित किया और वहां के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ी, तो दलाई लामा ने भारत की ओर पलायन किया।तब से वे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला स्थित मैकलियोडगंज में रह रहे हैं, जो तिब्बती निर्वासित सरकार का केंद्र भी है।
स्वास्थ्य और संकल्प
हालांकि उम्र के अंतिम पड़ाव पर हैं, दलाई लामा ने अपने हालिया संदेश में कहा है कि वह अभी पूरी तरह स्वस्थ हैं और भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के प्रसार के लिए प्रतिबद्ध हैं।
उनका कहना है:
“जब तक संभव हो, मैं करुणा, शांति और सह-अस्तित्व का संदेश फैलाता रहूंगा।”
उत्तराधिकारी का चयन कैसे होता है?
- दलाई लामा की पुनर्जन्म परंपरा तिब्बती बौद्ध धर्म में 600 साल पुरानी है।
- किसी भी नए दलाई लामा को खोजने और मान्यता देने की प्रक्रिया लंबी, आध्यात्मिक और गहन होती है।
- पारंपरिक रूप से, दलाई लामा के निधन के बाद विशेष बौद्ध भिक्षु और संत एक दिव्य संकेतों, दृष्टियों और अन्य माध्यमों से यह तय करते हैं कि अगला लामा कौन होगा।
धर्म बनाम राजनीति
दलाई लामा के इस बयान से यह साफ हो गया है कि चीन द्वारा किसी “राजनीतिक दलाई लामा” की नियुक्ति को तिब्बती समुदाय और धार्मिक संस्थाएं स्वीकार नहीं करेंगी।
यह बयान ना केवल धार्मिक स्वतंत्रता की आवाज़ है, बल्कि चीन की सांस्कृतिक दखलंदाज़ी के खिलाफ एक कड़ा संदेश भी।