BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर (मध्य प्रदेश) – शहर के वार्ड 60 और 61, हबीपुरा और वाले का मोहल्ला बीते 10 दिनों से जलभराव की त्रासदी झेल रहा है। घरों के अंदर तक पानी भर चुका है। सड़कों का नामोनिशान मिट गया है, और ग्रामीण अब अपने ही गांव में बेघर जैसे हालात में जीने को मजबूर हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण न तो पानी की निकासी हो पाई है, न ही लोगों को कोई ठोस सहायता मिल पाई है।
कॉलेज में शरण, लेकिन दिल घर में फंसे सामान और पशुओं में अटका है
प्रभावित ग्रामीणों को अस्थायी रूप से पास के सरकारी कॉलेज में शरण दी गई है, लेकिन उनका मन चैन से नहीं है। उनके पशु—गाय, भैंस, बकरी—और घरेलू सामान अब भी पानी में फंसे हुए हैं। कई बुजुर्ग और महिलाएं खाना और दवाइयों के अभाव में बीमार पड़ रहे हैं।

तहसीलदार का बयान और सवालों के घेरे में प्रशासन
तहसीलदार कुलदीप दुबे ने जानकारी दी कि “मामला उच्च स्तर पर विचाराधीन है”, लेकिन स्थानीय लोग पूछ रहे हैं – “अगर 10 दिन से गांव पानी में डूबा है तो अब तक सिर्फ चर्चा ही क्यों हो रही है, समाधान क्यों नहीं?” ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है और उन्हें डर है कि अगर जल्द कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो बीमारी फैल सकती है और जानमाल का भारी नुकसान हो सकता है।
बरसात नहीं, नाली और नालों की अव्यवस्था बनी वजह
स्थानीय लोगों का कहना है कि जलभराव सिर्फ बारिश से नहीं, बल्कि क्षेत्र में जल निकासी की दशकों से अनदेखी की गई व्यवस्था के कारण हुआ है। कई बार नगर निगम से शिकायत की गई, लेकिन सिर्फ दिखावटी सफाई या फाइलों में निबटारे कर दिए जाते हैं।
ग्रामीणों की मांगें:
- तुरंत जल निकासी की व्यवस्था की जाए।
- प्रभावित परिवारों को राहत शिविर, भोजन, दवा और पशुचारा उपलब्ध कराया जाए।
- स्थायी समाधान हेतु पक्के नालों और ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण कराया जाए।
- बर्बाद हुए सामान और फसल की भरपाई के लिए मुआवजा दिया जाए।