BY: MOHIT JAIN
मोरक्को में GenZ का गुस्सा: वर्ल्ड कप पर अरबों खर्च,अस्पताल पर नहीं
उत्तरी अफ्रीका का देश मोरक्को इन दिनों युवाओं के गुस्से से जल रहा है। राजधानी रबात से लेकर कासाब्लांका, टैंजियर और माराकेश तक हजारों युवा लगातार सड़कों पर उतर रहे हैं। यह आंदोलन शुरू तो स्वास्थ्य और शिक्षा सुधार की मांग से हुआ था, लेकिन अब हिंसक रूप ले चुका है। कई जगह आगजनी, पुलिस वाहनों को जलाने और बैंकों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं सामने आई हैं।
सरकार के खर्च पर सवाल

सरकार ने 2030 फीफा वर्ल्ड कप और अफ्रीका कप ऑफ नेशंस के लिए करीब 10 अरब डॉलर यानी 8.8 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का फैसला किया है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि जब देश के अस्पतालों और स्कूलों की हालत इतनी खराब है, तो इतनी बड़ी रकम खेलों पर खर्च करना जनता के साथ अन्याय है। इसी वजह से युवाओं ने नारा लगाया “स्टेडियम तो हैं, लेकिन अस्पताल कहां हैं?”
आगादिर शहर में पुलिस फायरिंग में तीन युवाओं की मौत हो चुकी है। अब तक एक हजार से ज्यादा लोग गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि तीन सौ से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनमें बड़ी संख्या सुरक्षाकर्मियों की है। हालात यह हैं कि राजधानी में रातभर आगजनी और झड़पें होती रही हैं।
बेरोजगारी और स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली
आंकड़े भी स्थिति की गंभीरता दिखाते हैं। मोरक्को में बेरोजगारी दर 12.8 प्रतिशत है, लेकिन युवा बेरोजगारी 35.8 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है। स्नातकों में भी करीब 19 प्रतिशत लोग बेरोजगार हैं। स्वास्थ्य सेवाओं का हाल और भी खराब है। यहां औसतन 1430 लोगों पर एक डॉक्टर है, जबकि दुनिया का औसत 590 है। आगादिर का हसन-2 अस्पताल इतना बदहाल है कि स्थानीय लोग उसे “डेथ हॉस्पिटल” कहने लगे हैं।

इस आंदोलन को “GenZ 212” नाम दिया गया है। 212 मोरक्को का इंटरनेशनल टेलीफोन कोड है और इसी के आधार पर युवाओं ने अपने अभियान की पहचान बनाई है। खास बात यह है कि इस विरोध का कोई औपचारिक नेता नहीं है। टिकटॉक और डिस्कॉर्ड जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए युवा एकजुट हो रहे हैं और प्रदर्शन का आयोजन कर रहे हैं। इस दौरान कई चर्चित चेहरे भी पुलिस के शिकंजे में आए हैं, जिनमें मोरक्को के स्टार गोलकीपर यासीन बौनू और मशहूर रैपर एल ग्रांडे टोटो शामिल हैं।
मोरक्को में बढ़ती अशांति सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं है। पिछले कुछ महीनों में नेपाल, इंडोनेशिया, फिलीपींस और मेडागास्कर जैसे देशों में भी युवाओं के नेतृत्व में ऐसे आंदोलन भड़के हैं। नेपाल में विरोध इतना गहरा गया कि प्रधानमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा, जबकि मेडागास्कर में राष्ट्रपति को अपनी सरकार भंग करनी पड़ी।
मोरक्को के युवाओं की आवाज साफ है। उनका कहना है कि उन्हें चमकदार स्टेडियम नहीं, बल्कि बेहतर अस्पताल और स्कूल चाहिए। सरकार के लिए यह आंदोलन एक बड़ी चुनौती बन चुका है और यदि हालात काबू से बाहर हुए तो इसके राजनीतिक नतीजे नेपाल और मेडागास्कर जैसे भी हो सकते हैं।
2025 में यहां भी हुआ GenZ का विरोध
सितंबर 2025 युवाओं के गुस्से का महीना साबित हुआ। भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकारी नीतियों से परेशान GenZ सड़कों पर उतर आया। नेपाल, फिलीपींस, पेरू, मेडागास्कर और इंडोनेशिया जैसे देशों में एक साथ आंदोलनों की लहर चली।
नेपाल में युवाओं ने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन पर जोरदार विरोध दर्ज कराया। फिलीपींस में बाढ़ राहत कार्यों में भ्रष्टाचार पर गुस्सा भड़का। पेरू में पेंशन सुधार और भ्रष्टाचार को लेकर हजारों लोग सड़कों पर उतरे। मेडागास्कर में बिजली और पानी की समस्या ने लोगों को आंदोलन के लिए मजबूर कर दिया। वहीं इंडोनेशिया में सांसदों की सैलरी बढ़ाने का फैसला जनता को नागवार गुज़रा और सड़कों पर प्रदर्शन शुरू हो गए।
सितंबर 2025 के GenZ विरोध की मुख्य वजहें
- नेपाल – भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन
- फिलीपींस – बाढ़ नियंत्रण में भ्रष्टाचार
- पेरू – भ्रष्टाचार और पेंशन सुधार
- मेडागास्कर – बिजली और पानी की किल्लत
- इंडोनेशिया – सांसदों की सैलरी बढ़ाने के खिलाफ गुस्सा