BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के पूर्व पुलिस कमिश्नर और सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक नीरज कुमार के लिए अहम निर्णय सुनाया। अदालत ने उनके और उनके अधीनस्थ अधिकारी, पूर्व एसीपी विनोद पांडे के खिलाफ मामले की जांच करने का आदेश दिया है। इस जांच के लिए दिल्ली पुलिस के एसीपी रैंक के अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा।
दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश की पृष्ठभूमि
यह मामला 2000 में दर्ज आरोपों से जुड़ा है, जिसमें पूर्व आईआरएस अधिकारी अशोक कुमार अग्रवाल ने शिकायत दर्ज करवाई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने जून 2006 में दोनों पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज करने और आपराधिक अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था। आरोपों में शामिल था कि दोनों अधिकारियों ने जांच के दौरान दस्तावेजों में हेराफेरी की, अशोक अग्रवाल के भाई विजय अग्रवाल को अदालत के आदेशों का उल्लंघन करते हुए अवैध हिरासत में रखा और अशोक अग्रवाल के द्वारा पहले दर्ज झूठे मामले को वापस लेने में बाधा डाली।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह न्याय का अपमान है कि पिछले 25 वर्षों में इन गंभीर आरोपों की जांच नहीं की गई। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस मामले की जांच दिल्ली पुलिस के एसीपी स्तर के अधिकारी द्वारा की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर आरोपियों की गिरफ्तारी भी की जा सकती है।
विशेष रूप से यह पहली बार है जब सीबीआई में प्रतिनियुक्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ दर्ज दो आपराधिक मामलों की जांच की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से नीरज कुमार और उनके अधीनस्थ अधिकारियों के लिए कानूनी प्रक्रिया तेज होने की संभावना बढ़ गई है।





