भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में एक बड़ा बदलाव लाने की तैयारी कर रहा है। मौजूदा नियमों के तहत, कोई भी एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) एक कैटेगरी में सिर्फ एक ही स्कीम चला सकती है — चाहे वह लार्ज कैप हो, मिड कैप हो या हाइब्रिड फंड।
लेकिन अब SEBI एक नई स्कीम शुरू करने की अनुमति देने पर विचार कर रहा है — जिससे निवेशकों के लिए विकल्प तो बढ़ेंगे, लेकिन जोखिम और उलझनें भी।
आइए इस नियम के हर पहलू को विस्तार से समझते हैं।
📌 मौजूदा नियम क्या है?
फिलहाल, हर फंड हाउस को एक ही कैटेगरी में सिर्फ एक स्कीम चलाने की अनुमति है। जैसे:
- एक लार्ज कैप फंड
- एक मिड कैप फंड
- एक हाइब्रिड फंड
इससे निवेशकों को क्लियर और सीमित विकल्प मिलते हैं, जिससे निर्णय लेना आसान होता है।
🆕 SEBI के नए प्रस्ताव में क्या बदलेगा?
SEBI के नए ड्राफ्ट के मुताबिक, फंड हाउस एक ही कैटेगरी में दो स्कीम्स चला सकेंगे, लेकिन कुछ शर्तों के साथ।
✅ कब शुरू कर सकता है फंड हाउस दूसरी स्कीम?
फंड हाउस तभी दूसरी स्कीम लॉन्च कर सकता है जब:
- मौजूदा स्कीम 5 साल से ज्यादा पुरानी हो, और
- उसकी AUM (Assets Under Management) ₹50,000 करोड़ से ज्यादा हो
➡️ उदाहरण: Parag Parikh Flexi Cap Fund (AUM ₹1 लाख करोड़+) इस नियम के तहत दूसरी स्कीम शुरू कर सकता है।
📄 दूसरी स्कीम शुरू करने पर क्या नियम होंगे?
नई स्कीम के लिए SEBI ने स्पष्ट दिशानिर्देश दिए हैं:
- पुरानी स्कीम में लंप-सम निवेश बंद हो जाएगा (मौजूदा SIPs चलते रहेंगे)
- एक नया Scheme Information Document (SID) जारी होगा
- नई स्कीम का उद्देश्य, पोर्टफोलियो और रणनीति लगभग समान होंगे
- नई स्कीम का टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) पुरानी से ज्यादा नहीं हो सकता
- दोनों स्कीम्स के नाम स्पष्ट रूप से अलग होंगे
(जैसे “Mid Cap Fund Series 1” और “Mid Cap Fund Series 2”)
🤔 SEBI ऐसा क्यों कर रहा है?
SEBI की चिंता यह है कि कुछ स्कीम्स इतनी बड़ी हो गई हैं कि उनका मैनेजमेंट मुश्किल हो रहा है। बड़े फंड्स में:
- लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए रणनीति में बदलाव करना पड़ता है
- स्मॉल या मिड कैप फंड्स को लार्ज कैप में निवेश करना पड़ता है, जिससे असल उद्देश्य प्रभावित होता है
- रिटर्न पर भी असर पड़ता है
नया नियम इन समस्याओं से निपटने का प्रयास है — बिना मौजूदा स्कीम को बंद किए, निवेश के नए रास्ते खोलना।
⚠️ निवेशकों के लिए संभावित जोखिम
हालांकि यह प्रस्ताव निवेशकों को अधिक विकल्प देता है, लेकिन कुछ चिंताएं भी हैं:
🗣️ “अगर मैं पहली स्कीम में निवेशक हूं, तो मैं पैसे निकाल लूंगा क्योंकि नई इनफ्लो बंद है,”
— Kirtan A Shah, Founder, Credence Wealth
🚨 जोखिम क्या हैं?
- पुरानी स्कीम में नए निवेश बंद होने से, वहां केवल रेडेम्प्शन (पैसे निकाले जाना) होगा
- इससे फंड की परफॉर्मेंस पर असर पड़ सकता है
- नई स्कीम में हिस्ट्री और ट्रैक रिकॉर्ड नहीं होगा, जिससे आकलन कठिन हो सकता है
🔒 क्या अब अनलिमिटेड स्कीम्स ला सकेंगे फंड हाउस?
नहीं। SEBI ने स्पष्ट किया है कि एक कैटेगरी में अधिकतम दो स्कीम्स ही अनुमति होगी।
🔁 अगर किसी स्कीम का स्केल या उद्देश्य खत्म हो जाए, तो दोनों स्कीम्स को मर्ज किया जा सकता है।
📋 निवेशकों को क्या करना चाहिए?
🔍 वर्तमान स्कीम की स्थिति जांचें:
- यदि आपका फंड 5 साल से पुराना है और AUM ज्यादा है, तो उसमें निवेश की पाबंदियां आ सकती हैं।
🚨 नई स्कीम से सावधान रहें:
- देखें कि क्या यह आपकी मौजूदा स्कीम जैसी ही है?
- फंड मैनेजर का अनुभव, रणनीति और संभावित रिटर्न को जरूर समझें
📉 पुरानी स्कीम्स की परफॉर्मेंस पर नजर रखें:
- बड़े पैमाने पर पैसे निकाले जाने से NAV में अस्थिरता आ सकती है
🧠 निष्कर्ष: यह बदलाव आपके निवेश को कैसे प्रभावित करेगा?
SEBI का यह प्रस्ताव म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव ला सकता है। बड़े फंड्स के लिए यह राहत की बात है, लेकिन निवेशकों को इसके लंबे समय के प्रभाव पर सतर्क रहना होगा।
नए विकल्प आकर्षक लग सकते हैं, लेकिन उनका मूल्यांकन सोच-समझकर करना जरूरी है।
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🔑 संक्षेप में – मुख्य बिंदु
🔹 बिंदु | 📌 विवरण |
---|---|
वर्तमान नियम | एक AMC, एक कैटेगरी में एक ही स्कीम चला सकती है |
नया प्रस्ताव | दो स्कीम्स की अनुमति, कुछ शर्तों के साथ |
शर्तें | स्कीम 5+ साल पुरानी और AUM ₹50,000 करोड़ से ज्यादा हो |
नतीजा | पुरानी स्कीम में लंप-सम निवेश बंद, नई स्कीम शुरू |
चिंताएं | रिडेम्प्शन दबाव, परफॉर्मेंस डिप, निवेश भ्रम |
सीमा | अधिकतम 2 स्कीम्स प्रति कैटेगरी |