मुंबई/नई दिल्ली: सरकार ने गुरुवार को वित्त और राजस्व सचिव तुहिन कांत पांडे को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। यह फैसला मौजूदा अध्यक्ष मधबी पुरी बुच के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद लिया गया है, जो शुक्रवार, 28 फरवरी 2025 को खत्म हो रहा है। मधबी पुरी बुच, जो निजी क्षेत्र से आईं पहली सेबी अध्यक्ष थीं और आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व कार्यकारी रह चुकी थीं, अपने कार्यकाल में कई विवादों से घिरी रहीं। उन पर हितों के टकराव के आरोप लगे थे, जिसके बाद सरकार ने एक बार फिर सिविल सेवा से अनुभवी अधिकारी को यह जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया।
तुहिन कांत पांडे को सेबी के अध्यक्ष पद पर 3 साल का कार्यकाल दिया गया है। अगस्त में 60 साल के होने जा रहे पांडे 1987 बैच के ओडिशा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब सेबी को बाजार में स्थिरता और हितधारकों के भरोसे को मजबूत करने की जरूरत है।

कौन हैं तुहिन कांत पांडे?
पंजाब के मूल निवासी तुहिन कांत पांडे ने अपनी शिक्षा और करियर में शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने चंडीगढ़ के पंजाब विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की और इसके बाद यूनाइटेड किंगडम के बर्मिंघम विश्वविद्यालय से एमबीए पूरा किया। उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि ने उन्हें अर्थव्यवस्था और प्रबंधन के क्षेत्र में मजबूत आधार दिया, जो सेबी जैसे नियामक संस्थान के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।
पांडे का प्रशासनिक करियर बेहद विविध और प्रभावशाली रहा है। ओडिशा सरकार में उन्होंने स्वास्थ्य, सामान्य प्रशासन, वाणिज्यिक कर, परिवहन और वित्त जैसे महत्वपूर्ण विभागों में प्रशासनिक प्रमुख के रूप में काम किया। इसके अलावा, वे ओडिशा राज्य वित्त निगम के कार्यकारी निदेशक और ओडिशा लघु उद्योग निगम के प्रबंध निदेशक भी रहे। केंद्र सरकार में भी उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही है। उन्होंने योजना आयोग (अब नीति आयोग) में अपनी सेवाएं दीं और संयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठन (UNIDO) के क्षेत्रीय कार्यालय में भी काम किया।
वित्त मंत्रालय में शानदार योगदान
पिछले पांच सालों से पांडे वित्त मंत्रालय के निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) के सचिव रहे। इस दौरान उन्होंने एयर इंडिया के निजीकरण और भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) की लिस्टिंग जैसे बड़े कदमों में अहम भूमिका निभाई। उनकी अगुवाई में कई सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के शेयर बाजार में निर्गम सफलतापूर्वक हुए, जिससे उन्हें पूंजी बाजार का गहरा अनुभव प्राप्त हुआ। जनवरी 2025 में, बजट से ठीक पहले, उन्हें राजस्व विभाग का सचिव बनाया गया। हाल ही में उन्होंने 2025-26 के केंद्रीय बजट को तैयार करने में भी योगदान दिया, जिसमें मध्यम वर्ग को 1 लाख करोड़ रुपये की कर राहत दी गई।
साफ छवि और नियमों के प्रति समर्पण
तुहिन कांत पांडे को एक सौम्य और विचारशील अधिकारी के रूप में जाना जाता है। वे नियमों का सख्ती से पालन करते हैं और अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए पहचाने जाते हैं। वे अपनी बात को स्पष्टता से रखते हैं, लेकिन उनका अंदाज ऐसा होता है कि सामने वाला आहत नहीं होता। सेबी में उनकी नियुक्ति को बाजार विशेषज्ञों ने सकारात्मक कदम बताया है, क्योंकि उनका अनुभव और निष्पक्षता नियामक की विश्वसनीयता को बढ़ाने में मदद कर सकती है।
सेबी में चुनौतियां और उम्मीदें
पांडे के सामने सबसे बड़ी चुनौती सेबी के आंतरिक माहौल को सुधारना और कर्मचारी असंतोष को दूर करना होगा। मधबी पुरी बुच के कार्यकाल में नई मानव संसाधन नीतियों के खिलाफ कर्मचारियों ने बीकेसी मुख्यालय पर प्रदर्शन किया था, जिसे उनके खिलाफ बगावत के रूप में देखा गया। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की हालिया निकासी के बाद बाजार में अस्थिरता को संभालना और निवेशकों का भरोसा बनाए रखना भी उनके लिए महत्वपूर्ण होगा।
पांडे ऐसे समय में सेबी की कमान संभाल रहे हैं जब भारतीय शेयर बाजार वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। उनकी नियुक्ति से यह संकेत मिलता है कि सरकार बाजार नियामक की भूमिका को मजबूत करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।