ग्वालियर में सिंधिया राजवंश द्वारा निभाई जाने वाली ताजिया की ऐतिहासिक परंपरा इस साल भी आस्था, सौहार्द और संस्कृति का संगम बनकर सामने आई। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पारंपरिक तरीके से सेहराबंदी की रस्म अदा की, जिससे न सिर्फ इस परंपरा को आगे बढ़ाया गया, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश भी दिया गया।
क्या है ताजिए की परंपरा?
- यह परंपरा सिंधिया राजवंश द्वारा सैकड़ों वर्षों से निभाई जा रही है।
- हर साल गोरखी स्थित इमामबाड़े में सिंधिया परिवार द्वारा ताजिया रखा जाता है।
- इसमें मुस्लिम समाज के साथ-साथ स्थानीय नागरिक भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
महाराज ने निभाई रस्म, दिखाया सांस्कृतिक समन्वय
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस आयोजन में भाग लेकर सेहराबंदी की रस्म निभाई। यह रस्म निभाकर उन्होंने अपने पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ाया और ग्वालियर की गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की।
- मुस्लिम समुदाय ने उनका स्वागत किया और आयोजन की सफलता के लिए आभार जताया।
- कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण और संगठित ढंग से संपन्न हुआ।
सद्भाव की मिसाल: चार धर्मों की एक जगह
ताजिया कमेटी के उपाध्यक्ष बाल खांडे के अनुसार, सिंधिया परिवार की गद्दी को संतों और फकीरों की विशेष कृपा प्राप्त रही है। यही कारण है कि जयविलास पैलेस परिसर का हिस्सा रहे फूलबाग में:
- मंदिर
- मस्जिद
- गुरुद्वारा
- चर्च
चारों धर्मों के धार्मिक स्थल एक ही स्थान पर मौजूद हैं। यह एक अनूठा उदाहरण है धार्मिक एकता और सहिष्णुता का।
परंपरा की ऐतिहासिक शुरुआत
- इस रस्म की शुरुआत स्व. माधवराव सिंधिया प्रथम ने पदमा विद्यालय के हॉल में की थी।
- कुछ समय बाधित रहने के बाद माधवराव सिंधिया द्वितीय ने इसे फिर से शुरू किया।
- अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस परंपरा को जारी रखे हुए हैं।
ग्वालियर को एकता का संदेश
खांडे ने कहा कि आज जैसे पूरे देश में जगन्नाथ रथ यात्रा में मुस्लिम समुदाय भाग ले रहा है, उसी प्रकार ग्वालियर में भी सभी धर्मों के लोग साथ मिलकर ताजिए की रस्म को निभाते हैं। यह दर्शाता है कि ग्वालियर में भाईचारा और सौहार्द केवल परंपरा नहीं, बल्कि जीने का तरीका है।
सिंधिया राजवंश द्वारा निभाई जा रही यह ताजिया परंपरा ग्वालियर की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक एकता की पहचान है। ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा इस रस्म में सक्रिय भागीदारी इस परंपरा को केवल जीवंत नहीं रखती, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण बनाती है।