चाइना ओपन सुपर 1000 बैडमिंटन टूर्नामेंट 2025 में भारत को जहां सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जीत से खुशी मिली, वहीं उभरती स्टार उन्नति हुड्डा की हार से निराशा भी हाथ लगी। भारत की शीर्ष पुरुष डबल्स जोड़ी ने सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली है, लेकिन एकल वर्ग में भारत की चुनौती खत्म हो गई।
सात्विक-चिराग की शानदार जीत
● 40 मिनट में क्लीन विन
भारतीय पुरुष युगल जोड़ी ने शुक्रवार को क्वार्टरफाइनल में मलेशिया के यू सिन ओंग और ई यी तेओ को सीधे गेम में 21-18, 21-14 से हराया। यह मुकाबला महज 40 मिनट में समाप्त हो गया।
● हेड-टू-हेड में बढ़त
इस जीत के साथ सात्विक-चिराग ने मलेशियाई जोड़ी के खिलाफ अपना रिकॉर्ड 7-3 कर लिया है, जो उनके निरंतर बेहतर प्रदर्शन को दर्शाता है।
सेमीफाइनल में मलेशिया की नंबर 2 जोड़ी से टक्कर
सेमीफाइनल में अब भारतीय जोड़ी का मुकाबला दुनिया की नंबर दो मलेशियाई जोड़ी आरोन चिया और सोह वूई यिक से होगा। यह मुकाबला बेहद रोमांचक होने की उम्मीद है, क्योंकि दोनों जोड़ियों के बीच कड़ा संघर्ष देखने को मिल सकता है।
उन्नति हुड्डा टूर्नामेंट से बाहर
17 साल की भारतीय खिलाड़ी उन्नति हुड्डा का चाइना ओपन में शानदार प्रदर्शन आखिरकार जापान की अकाने यामागुची के हाथों थम गया।
● सीधे गेम में हार
क्वार्टरफाइनल मुकाबले में दुनिया की नंबर 4 खिलाड़ी यामागुची ने उन्नति को 33 मिनट में 21-16, 21-12 से हराया।
● सिंधु को हराकर पहुंची थी क्वार्टर में
इससे पहले उन्नति ने अपनी आदर्श और दो बार की ओलंपिक पदक विजेता पीवी सिंधू को हराकर सनसनी फैला दी थी।
कैसा रहा मैच का दौर
- पहले गेम में उन्नति ने यामागुची को बराबर की टक्कर दी, लेकिन अंतिम समय में पांच लगातार अंकों से गेम गवां बैठीं।
- दूसरे गेम में थोड़ी देर के लिए वापसी की उम्मीद बनी, जब उन्नति ने चार अंक लगातार जीते, लेकिन यामागुची ने छह अंकों की लय में गेम खत्म कर दिया।
भारत की एकल चुनौती खत्म
उन्नति की हार के साथ ही भारत की एकल वर्ग में चुनौती समाप्त हो गई है। हालांकि, सात्विक-चिराग सेमीफाइनल में देश की उम्मीद बने हुए हैं।
क्या कहता है भारत का बैडमिंटन भविष्य?
जहां सात्विक-चिराग की जोड़ी का निरंतर प्रदर्शन भारत के डबल्स भविष्य को उज्ज्वल बना रहा है, वहीं उन्नति हुड्डा जैसी युवा खिलाड़ियों की मौजूदगी यह संकेत देती है कि भारतीय बैडमिंटन का भविष्य उज्ज्वल है—चाहे आज कुछ मुकाबले हाथ से निकल भी जाएं।