उत्तराखंड सरकार ने नीलकंठ महादेव मंदिर तक यात्रा को आसान और सुविधाजनक बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। अब श्रद्धालुओं को कठिन पहाड़ी रास्तों से गुजरने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि जल्द ही ऋषिकेश से नीलकंठ तक रोपवे परियोजना शुरू की जाएगी।
तीर्थयात्रियों के लिए बड़ी राहत
नीलकंठ महादेव मंदिर, भगवान शिव का प्रमुख तीर्थस्थल है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। फिलहाल, यहां पहुंचने के लिए लोगों को जाम और कठिन पहाड़ी रास्तों से गुजरना पड़ता है।
लेकिन रोपवे बनने के बाद –
- सफर कुछ ही मिनटों में पूरा होगा
- बुजुर्गों और दिव्यांगों को खास राहत मिलेगी
- ट्रैफिक और समय दोनों की बचत होगी
ऋषिकेश से नीलकंठ रोपवे प्रोजेक्ट: क्या है स्थिति?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिलहाल इस प्रोजेक्ट के लिए सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
- सरकार जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर सकती है
- ये परियोजना पर्यटन को भी बढ़ावा देगी
- मंदिर तक बेहतर पहुंच से स्थानीय व्यापार को लाभ होगा
पर्वतमाला योजना में रोपवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा
उत्तराखंड सरकार ने पिछले चार वर्षों में पहाड़ी क्षेत्रों में बेहतर कनेक्टिविटी के लिए रोपवे निर्माण पर ज़ोर दिया है।
अब तक जिन क्षेत्रों में रोपवे योजना पर काम हुआ है, उनमें शामिल हैं:
- नैनीताल (2 प्रोजेक्ट)
- अल्मोड़ा (7 प्रोजेक्ट)
- जागेश्वर (2 प्रोजेक्ट)
- पिथौरागढ़ (3 प्रोजेक्ट)
- चंपावत (2 प्रोजेक्ट)
अन्य प्रस्तावित रोपवे मार्ग
पर्वतमाला योजना के तहत कई अहम तीर्थ और पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाले रोपवे भी प्रस्तावित हैं, जैसे:
- केदारनाथ
- हेमकुंड साहिब
- औली से गोरसोन
- रानीबाग से हनुमान मंदिर
- पंचकोटी से बौरारी
- बलाती बैंड से खलिया टॉप
- उत्तरकाशी से वरुणावत पहाड़ी
- कनकचौरी से कार्तिक स्वामी मंदिर
इन सभी प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य है – सुगम यात्रा, अधिक पर्यटक, और स्थानीय विकास।
देहरादून-मसूरी रोपवे भी जल्द शुरू
राज्य सरकार देहरादून से मसूरी के बीच भी रोपवे का निर्माण जल्द शुरू करने वाली है। इससे ट्रैफिक जाम में कमी आएगी और पर्यटक कम समय में मसूरी पहुंच सकेंगे।
राज्य सरकार का उद्देश्य है कि सड़क के साथ-साथ रेल, रोपवे और हवाई सेवाएं भी मजबूत की जाएं, ताकि हर कोने तक सुविधाजनक यात्रा संभव हो सके।
ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव तक रोपवे बनना न केवल श्रद्धालुओं के लिए सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि क्षेत्र के पर्यटन और स्थानीय व्यवसाय को भी नई ऊंचाई देगा। उत्तराखंड सरकार की यह पहल राज्य को धार्मिक और पर्यटन मानचित्र पर और मजबूत करेगी।