भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने देश की मौद्रिक नीति में बदलाव करते हुए रेपो रेट में 0.50% की कटौती की है। यह फैसला लाखों कर्जदारों के लिए राहत लेकर आया है क्योंकि इससे बैंक लोन की ब्याज दरों में गिरावट आएगी। नतीजतन, होम लोन, कार लोन और अन्य पर्सनल लोन की ईएमआई कम हो जाएगी।
नई रेपो रेट अब 6.00% से घटकर 5.50% हो गई है। RBI के इस कदम का सीधा फायदा उन लोगों को मिलेगा जो पहले से लोन चुका रहे हैं या नया लोन लेने की सोच रहे हैं।
रेपो रेट में कटौती का मतलब क्या है?
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है। जब यह दर घटती है, तो बैंक भी अपने ग्राहकों को कम ब्याज दर पर लोन देना शुरू करते हैं।
इससे होगा फायदा:
- लोन की ब्याज दरों में कमी
- EMI में कमी
- आम आदमी की जेब पर कम भार
- लोन लेना होगा सस्ता
EMI पर कितना असर पड़ेगा? (SBI उदाहरण से समझें)
मान लीजिए आपने SBI से 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है, जिसकी अवधि 30 साल है। वर्तमान में SBI 8.00% की ब्याज दर पर लोन देता है।
पुरानी EMI (8.00% ब्याज दर पर):
₹36,688 प्रति माह
नई EMI (7.50% ब्याज दर पर):
₹34,961 प्रति माह
आपकी मासिक बचत:
₹1,727
वार्षिक बचत:
₹20,724
फ्लोटिंग रेट लोन: फायदे और सावधानी
भारत में अधिकतर बैंक फ्लोटिंग रेट पर लोन देते हैं। इसका अर्थ है कि ब्याज दरें समय-समय पर RBI की रेपो रेट के आधार पर घटती-बढ़ती रहती हैं।
जब रेपो रेट घटे:
- ब्याज दर घटेगी
- EMI कम होगी
जब रेपो रेट बढ़े:
- ब्याज दर बढ़ेगी
- EMI भी बढ़ेगी
इसलिए फ्लोटिंग रेट लोन लेने से पहले यह समझना जरूरी है कि इसमें आपकी EMI स्थिर नहीं रहती।
क्या करें आप?
अगर आपने पहले से कोई होम लोन लिया है या नया लोन लेने की योजना बना रहे हैं, तो यह समय आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। रेपो रेट में कटौती से लोन सस्ते हो गए हैं, जिससे आपकी EMI और कुल भुगतान कम हो जाएगा।
बैंक से संपर्क करें और नई ब्याज दरों की जानकारी लें।
EMI रीकैल्कुलेशन की मांग करें।
अपने बजट में संभावित बचत को शामिल करें।