संक्षेप में
- मामला मुंबई के कालेडोनिया प्रोजेक्ट के लिए ऋण के दुरुपयोग से जुड़ा
- सीबीआई के विरोध के बावजूद राकेश वधावन को बेल मिली
- कोर्ट ने कहा, जांच के दौरान गिरफ्तारी नहीं हुई, हिरासत की जरूरत नहीं
मुंबई की एक विशेष अदालत ने हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एचडीआईएल) के प्रमोटर राकेश वधावन, पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के पूर्व चेयरमैन वरयाम सिंह और तीन अन्य लोगों को सीबीआई द्वारा दर्ज एक मामले में जमानत दे दी है। इस केस में यस बैंक के प्रमुख राणा कपूर भी आरोपी हैं।

18 आरोपियों में से किसी को भी जांच के दौरान सीबीआई ने गिरफ्तार नहीं किया था। अब जब एजेंसी ने चार्जशीट दाखिल कर दी और कोर्ट ने 7 फरवरी को इसे स्वीकार कर लिया, तो आरोपियों ने औपचारिक रूप से बेल के लिए आवेदन किया।
बेल आवेदन और कोर्ट का फैसला
राकेश वधावन और वरयाम सिंह ने अपने वकीलों सागर शेट्टी और सुमित एरंडे के जरिए जमानत याचिका दायर की थी। राणा कपूर और वधावन के बेटे सारंग, जो इस मामले में सह-अभियुक्त हैं, ने अभी तक बेल के लिए आवेदन नहीं किया है।
सीबीआई ने जमानत का विरोध किया, लेकिन विशेष सीबीआई जज एसएच ग्वालानी ने कहा, “इस मामले में आवेदक को जांच के दौरान सीबीआई ने गिरफ्तार नहीं किया। सीबीआई ने ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया कि ट्रायल के दौरान हिरासत जरूरी है। अभियोजन ने यह भी नहीं बताया कि बेल देने से ट्रायल में कोई रुकावट आएगी।” इस आधार पर कोर्ट ने राकेश वधावन को जमानत दे दी।
केस का विवरण
कालेडोनिया प्रोजेक्ट और धोखाधड़ी का आरोप
यह केस 23 सितंबर 2020 को दर्ज किया गया था और यह मुंबई के अंधेरी (ईस्ट) में कालेडोनिया नामक इमारत के निर्माण से जुड़ा है। आरोप है कि इस प्रोजेक्ट के लिए 100 करोड़ रुपये निर्माण पर खर्च किए गए, जबकि 900 करोड़ रुपये जमीन खरीदने में इस्तेमाल हुए।
एफआईआर के मुताबिक, 2011 से 2016 के बीच वधावन परिवार ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर ऋण का दुरुपयोग किया, जिससे जनता को वित्तीय नुकसान हुआ। राणा कपूर पर आरोप है कि उन्होंने बैंकिंग नियमों का उल्लंघन करते हुए इन ऋणों को मंजूरी दी थी।
अगला कदम और बचाव की रणनीति
अब जब कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया है, तो अगला चरण आरोपियों के खिलाफ चार्ज फ्रेम करना होगा। हालांकि, आरोपी इस केस में डिस्चार्ज की मांग कर सकते हैं। उनका तर्क होगा कि कालेडोनिया प्रोजेक्ट से जुड़ा एक अन्य मामला पहले मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने जांचा था, जिसे बंद करने की सिफारिश की गई थी।
राकेश वधावन को बेल मिलने से इस हाई-प्रोफाइल बैंक धोखाधड़ी मामले में एक नया मोड़ आया है। सीबीआई की चार्जशीट के बाद भी कोर्ट ने हिरासत को जरूरी नहीं माना, जिससे यह सवाल उठता है कि आगे की कानूनी प्रक्रिया में क्या होगा।
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