BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर: ग्वालियर की केंद्रीय जेल में सजा काट रहे एक 41 वर्षीय कैदी की शनिवार रात उपचार के दौरान मौत हो गई। राजपुर उर्फ गुड्डू, जो आत्महत्या के लिए उकसाने के एक गंभीर मामले में जेल में बंद था, को शुगर और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत थी। जेल लौटने के महज चार दिन बाद उसकी तबीयत फिर बिगड़ गई। इलाज के लिए जयारोग्य अस्पताल के जेल वार्ड में भर्ती कराया गया था, जहां रात 11 बजे उसकी मौत हो गई।
मामला क्या है?
मृतक कैदी राजपुर उर्फ गुड्डू, ग्वालियर के बहोड़ापुर स्थित सांझी हाइट्स अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 109 में रहता था। उस पर आरोप था कि उसने अपनी बहन, जीजा और भांजे को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए मजबूर किया था। इस मामले में साल 2024 से न्यायिक हिरासत में था और मामला फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन था।
एक महीने पहले अदालत से अंतरिम जमानत मिलने के बाद वह जेल से बाहर आया था ताकि इलाज करवा सके। वह एक निजी अस्पताल में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर का इलाज करवा रहा था। चार दिन पहले ही वह जमानत खत्म होने के बाद जेल वापस लौटा था।
इलाज के दौरान बिगड़ी तबीयत, अस्पताल में मौत
शनिवार रात 8 बजे, जब उसकी तबीयत अचानक बिगड़ी तो जेल प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए उसे जयारोग्य अस्पताल के जेल वार्ड में भर्ती कराया। लेकिन हालत लगातार बिगड़ती चली गई और रात करीब 11 बजे उसने दम तोड़ दिया।
घटना की जानकारी मिलते ही बहोड़ापुर थाना पुलिस मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया और मर्ग कायम कर लिया गया है।
जेल प्रशासन का बयान
जेल अधीक्षक विदित सरवइया ने बताया –
“बंदी को लंबे समय से शुगर और हाई बीपी की शिकायत थी। शनिवार को अचानक तबीयत बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। चार दिन पहले ही वह अंतरिम जमानत खत्म कर जेल वापस आया था।”
उन्होंने यह भी बताया कि पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। पुलिस और जेल प्रशासन मामले की आंतरिक जांच कर रहे हैं।
सवाल जो अब भी बाकी हैं
- क्या जेल में रहते हुए बंदी को समय पर मेडिकल जांच और इलाज मिल रहा था?
- यदि बंदी को पहले से गंभीर बीमारियाँ थीं, तो क्या उसे पर्याप्त निगरानी में रखा गया?
- क्या अंतरिम जमानत के बाद उसकी सेहत में सुधार हुआ था या वह और बिगड़ी?
कानूनी प्रक्रिया और आगे की कार्रवाई
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है, जो मौत का कारण स्पष्ट करेगी। चूंकि मामला न्यायिक हिरासत और जेल में उपचार से जुड़ा है, इसलिए इसमें मजिस्ट्रेट जांच की संभावना भी जताई जा रही है। यदि लापरवाही पाई जाती है तो जेल स्टाफ की भूमिका पर भी सवाल उठ सकते हैं।