हमारे देश में माताओं का स्थान हमेशा से देवतुल्य रहा है और जब महिला गर्भवती होती हैं तो हमारे शास्त्रों के अनुसार बच्चे के गर्भ में आने के 3 महीने बाद पुंसवन संस्कार किया जाता है। इसी समय से शिशु का मस्तिष्क विकसित होना शुरू होता है। इसी कारण माताओं को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए। इसको लेकर जानकारी दी जाती है।
रेडी टू ईट योजना क्या है?
इन्ही शास्त्रोक्त बातों से प्रेरणा लेकर छत्तीसगढ़ की सरकार ने गर्भवती महिलाओं को पूरक पोषण आहार देने की एक महत्वपूर्ण योजना चलाई है। जिसका नाम है रेडी टू ईट, प्रदेश के आंगनबाड़ी केन्द्रो में सरकार हर महीने लाखो गर्भवती महिलाओ को रेडी टू ईट के माध्यम से उन्हें हेल्दी, हायजनिक और उच्च गुणवत्ता वाले फूड सप्लीमेंट्री दिया जाता है। जिससे महिलाएं कुपोषण से मुक्त रहें और स्वस्थ्य बच्चे को जन्म दे सकें।
रेडी टू ईट योजना में प्रत्यके महीने सरकार 55 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च
छत्तीसगढ़ में पहले प्रदेश का 1750 महिला समूह इसका उत्पादन कर रही थीं। जिसमे प्रदेश में भर में 3 लाख से ज्यादा लोग प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होते थे। जिसे पूर्व की भूपेश बघेल सरकार ने महिलाओं से छीनकर बीज विकास निगम को दे दिया था। रेडी टू ईट योजना में प्रत्यके महीने सरकार 55 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च करती है। पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के अंतर्गत वितरित किए जाने वाले रेडी टू ईट में निर्धारित मात्रा में कई विटामिन्स होते हैं। जिसमे प्रोटीन, फोलिक एसिड, राइबोफ्लेविन, नाइसीन, कैल्शियम, थायमिन, आयरन, विटामिन ए, बी12, सी और डी समेत फोटिफाइड और फाइन मिक्स होते हैं। लेकिन यहां एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है कि।
इस योजना में किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार नहीं होना चाहिए। किसी भी प्रकार की कोताही नहीं होनी चाहिए। सरकार की जिम्मेदारी होना चाहिए कि कम से कम किसी भ्रष्ट अधिकारी को इस योजना की जिम्मेदारी नहीं देनी चाहिए।