पांच नन्हे पंजे: कूनो में चीतों की नई गाथा

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पांच नन्हे पंजे: कूनो में चीतों की नई गाथा

क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में एक दिन फिर से चीते दौड़ते नजर आएंगे? जी हां, यह सपना अब सच होता दिख रहा है। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक बड़ी खुशी की खबर आई है। पांच वर्षीय मादा चीता “निर्वा” ने पांच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया है, जो भारत के वन्यजीव संरक्षण मिशन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

Contents
चीता पुनर्वास परियोजना: एक महत्वाकांक्षी पहलनिर्वा: एक उम्मीद की किरणकूनो नेशनल पार्क: एक सुरक्षित आशियानामध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का संदेशकेंद्रीय पर्यावरण मंत्री की प्रतिक्रियाचीतों का आंतरिक पुनर्स्थान (Intra-regional Translocation)चीता पुनर्वास का इतिहासचीतों का आगमन: नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका सेप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिकाचीतों के लिए आदर्श निवास क्यों है कूनो?भविष्य की योजनाएं: और भी उम्मीदेंचीतों के जन्म का महत्वचुनौतियां अब भी बरकरारक्या कहते हैं विशेषज्ञ?निष्कर्ष: एक नई शुरुआतFAQs1. भारत में चीते कब विलुप्त हुए थे?2. कूनो नेशनल पार्क कहां स्थित है?3. निर्वा किस देश से लाई गई थी?4. कूनो में कुल कितने चीते हैं?5. भारत में चीतों के पुनर्वास का अगला कदम क्या है?

चीता पुनर्वास परियोजना: एक महत्वाकांक्षी पहल

चीते, जो कभी भारतीय जंगलों में खुले आम घूमते थे, 1950 के दशक में भारत से विलुप्त हो गए थे। इस खामोशी को तोड़ने के लिए भारत सरकार ने 2022 में नामीबिया से आठ दक्षिण-पूर्व अफ्रीकी चीते मंगाए और उन्हें कूनो नेशनल पार्क में बसाया।


निर्वा: एक उम्मीद की किरण

निर्वा का जन्म देना सिर्फ पांच नए प्राणियों का आना नहीं है, बल्कि यह उस संघर्ष की जीत है जो भारत ने प्राकृतिक जैव विविधता को बहाल करने के लिए लड़ी है। निर्वा के ये शावक कूनो की धरती पर एक नया इतिहास लिखेंगे।


कूनो नेशनल पार्क: एक सुरक्षित आशियाना

कूनो नेशनल पार्क, मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित है, जो आज भारतीय चीता पुनर्वास कार्यक्रम का केंद्र बन चुका है। यहां का विस्तृत घास का मैदान और अनुकूल वातावरण चीतों के लिए आदर्श निवास स्थान प्रदान करता है।


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का संदेश

डॉ. मोहन यादव, मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश, ने इस खबर को साझा करते हुए कहा,
“कूनो नेशनल पार्क एक बार फिर हमारे लिए गर्व का क्षण लेकर आया है। निर्वा ने पांच स्वस्थ शावकों को जन्म दिया है, जिससे राज्य में चीतों की संख्या बढ़कर 31 हो गई है।”


केंद्रीय पर्यावरण मंत्री की प्रतिक्रिया

भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने भी इस खुशी को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा किया और टीम कूनो को उनकी मेहनत और समर्पण के लिए बधाई दी।

पांच नन्हे पंजे: कूनो में चीतों की नई गाथा

चीतों का आंतरिक पुनर्स्थान (Intra-regional Translocation)

हाल ही में दो चीते, प्रभास और पावक को गंधीसागर, मंदसौर में स्थानांतरित किया गया था। इससे कूनो में चीतों की संख्या 24 रह गई थी। लेकिन अब, पांच नए शावकों के साथ यह संख्या फिर से 29 हो गई है।


चीता पुनर्वास का इतिहास

  • 1970 का दशक: भारत ने ईरान से एशियाटिक चीते लाने का प्रयास किया।
  • 1980 का दशक: केन्या से भी चीता लाने की योजना बनी।
  • 2012: सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी प्रजाति लाने पर रोक लगाई थी।
  • 2020 के बाद: पुनः प्रयास शुरू हुए और आज सकारात्मक परिणाम दिखने लगे हैं।

चीतों का आगमन: नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से

  • सितंबर 2022: 8 चीते नामीबिया से भारत आए।
  • फरवरी 2023: 12 और चीते दक्षिण अफ्रीका से लाए गए।

इन प्रयासों के बाद, भारत में चीतों की गिनती धीरे-धीरे बढ़ने लगी है।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2022 को कूनो नेशनल पार्क में चीतों को आधिकारिक रूप से छोड़ा। यह कदम भारत के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों में मील का पत्थर माना जाता है।


चीतों के लिए आदर्श निवास क्यों है कूनो?

  • प्राकृतिक घास के मैदान: दौड़ने और शिकार के लिए उपयुक्त।
  • कम मानव हस्तक्षेप: शांत वातावरण।
  • पर्याप्त शिकार आधार: हिरण, चिंकारा और नीलगाय जैसे जानवरों की मौजूदगी।

भविष्य की योजनाएं: और भी उम्मीदें

सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में चीतों की संख्या 100 तक पहुंचे। इसके लिए नए क्षेत्र चिन्हित किए जा रहे हैं और अफ्रीकी देशों से और चीतों को लाने की योजना है।


चीतों के जन्म का महत्व

ये पांच शावक केवल संख्या में वृद्धि नहीं हैं, बल्कि वे भारत की बाघ, शेर और हाथी के साथ एक बार फिर चीतों को गर्व से जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं।


चुनौतियां अब भी बरकरार

  • रोग: कुछ चीते पहले संक्रमण के कारण मारे गए थे।
  • आवासीय संघर्ष: मनुष्यों और चीतों के बीच संघर्ष को रोकना अभी भी एक चुनौती है।
  • प्राकृतिक शिकार की उपलब्धता: बनाए रखना बेहद जरूरी है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का चीता पुनर्वास प्रयास दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी वन्यजीव संरक्षण कार्यक्रमों में से एक है। हालांकि, उन्हें लंबी अवधि तक जीवित रखना और प्रजनन कराना असली सफलता होगी।


निष्कर्ष: एक नई शुरुआत

कूनो नेशनल पार्क से आई यह खबर न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए आशा की किरण है। निर्वा और उसके पांच शावक भारत के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ते हैं। यह हम सभी के लिए एक प्रेरणा है कि यदि हम ठान लें तो प्रकृति को फिर से संजीवनी दी जा सकती है। तो चलिए, इस सफर का हिस्सा बनते हैं और मिलकर भारत में चीतों के सुनहरे युग का स्वागत करते हैं!


FAQs

1. भारत में चीते कब विलुप्त हुए थे?

भारत में चीते 1950 के दशक में पूरी तरह से विलुप्त हो गए थे।

2. कूनो नेशनल पार्क कहां स्थित है?

कूनो नेशनल पार्क मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित है।

3. निर्वा किस देश से लाई गई थी?

निर्वा दक्षिण अफ्रीका से लाई गई थी।

4. कूनो में कुल कितने चीते हैं?

पांच नए शावकों के साथ अब कूनो में 29 चीते हैं।

5. भारत में चीतों के पुनर्वास का अगला कदम क्या है?

सरकार का लक्ष्य अन्य राज्यों में भी चीता परियोजनाएं शुरू करना और उनकी संख्या 100 से अधिक करना है।

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