BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर से एक चौंकाने वाली और हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है, जिसने न सिर्फ नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि एक बार फिर साबित कर दिया है कि कैसे सरकारी सिस्टम में घटिया काम और भ्रष्टाचार मिलकर आम जनता की जान से खेलते हैं।
सोचिए! एक सड़क जो अभी ठीक से दो महीने भी पुरानी नहीं हुई… अचानक जमीन में समा गई!
जैसे किसी भूतिया फिल्म का दृश्य हो — एक पल आप सड़क पर हैं, अगले ही पल सड़क आपको निगल जाती है!
फूलबाग चौपाटी से चेतकपुरी होते हुए महलगेट तक बनाई गई ये बहुचर्चित सड़क, करोड़ों की लागत से बनी थी। इसका उद्घाटन फोटो खिंचवाने, फीता काटने और वाहवाही लूटने के लिए बड़े धूमधाम से किया गया था। लेकिन 60 दिन भी नहीं बीते, और चेतकपुरी के पास ये सड़क 2 फीट जमीन में समा गई।
रिपेयर किया गया… फिर डूबी!
जब पहली बार सड़क जमीन में समाई, तो निगम कमिश्नर संघ प्रिय ने फटाफट खानापूर्ति की, जैसे हर बार होता है। लेकिन सड़क है कि मान ही नहीं रही। दोबारा उसी जगह फिर से धंस गई। अब सवाल ये है कि आखिर इतनी जल्दी सड़क क्यों बैठ गई? इसका जवाब है — भ्रष्टाचार की मिलावट वाला निर्माण।

स्थानीय जनता में गुस्सा — सड़क बनी मौत का फंदा!
रविवार रात सड़क की इस खतरनाक हालत ने एक बड़े वाहन को दुर्घटना का शिकार बना दिया। आस-पास रहने वाले लोगों में जबरदस्त गुस्सा है। उनकी रातों की नींद उड़ चुकी है क्योंकि ये सड़क अब किसी भी वक्त जान ले सकती है।
जनप्रतिनिधि और पत्रकार मैदान में — मांग उठी, करो कार्रवाई!
वरिष्ठ पत्रकार ध्यानेन्द्र शर्मा ने भ्रष्टाचार का खुला आरोप लगाते हुए कहा कि –

“जिस फर्म से सड़क का निर्माण करवाया गया, वो पहले से ही विवादित रही है, और इसमें निगम अधिकारियों की मिलीभगत साफ नजर आ रही है। अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो हम सड़क पर उतरेंगे और भोपाल तक शिकायत ले जाएंगे।”
कड़वी सच्चाई – ये सड़क नहीं, सिस्टम की लाश है!
फूलबाग चौपाटी से कुलदीप नर्सरी तक की ये सड़क अब टुकड़ों में बंटी, उखड़ी, धंसी और टूटी हुई नज़र आ रही है। लोग कह रहे हैं —
“ये सड़क हमें बता रही है कि टैक्सपेयर्स का पैसा किस तरह बर्बाद किया जा रहा है।”
🧱 घटिया मटेरियल, 🚫 बिना जांच के पेमेंट, 🧾 कमीशन की बंदरबांट — ये सब मिलकर बना है ग्वालियर की डूबती सड़क का काला सच।
अब सवाल ये है:
- क्या निगम अधिकारी जवाब देंगे?
- क्या दोषी फर्म पर कोई एक्शन होगा?
- और सबसे बड़ा सवाल – कब तक जनता इस भ्रष्ट सिस्टम की कीमत अपनी जान देकर चुकाती रहेगी?
इस सड़क की कहानी कोई आम सड़क हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की सड़ांध का आईना है। अब देखना ये है कि नगर निगम इस बार भी लीपापोती करेगा या सच में कुछ बदलेगा।