BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई बुधवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में हुई। इस सुनवाई की अध्यक्षता विशेष सीबीआई/ईडी जज विशाल गोगने ने की। इस केस में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी और अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है।
ईडी ने लगाए फर्जीवाड़े के आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से अदालत में कहा गया कि वर्षों से फर्जी अग्रिम किराया दर्शाया गया है और किराए की रसीदें भी मनगढ़ंत थीं। ईडी के अनुसार, सीनियर कांग्रेस नेताओं के निर्देश पर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को विज्ञापन देने के नाम पर पैसे दिए गए थे। जांच एजेंसी का तर्क है कि इस तरह की धोखाधड़ी से अर्जित कोई भी रकम ‘अपराध की आय’ यानी Proceeds of Crime (POC) मानी जानी चाहिए।
लेनदेन केवल कागजों पर
ईडी ने कुछ दानदाताओं और वरिष्ठ नेताओं का नाम लेते हुए दावा किया कि उन्होंने पार्टी से जुड़ी संस्थाओं को किराये के रूप में धनराशि दी, जो वास्तविक नहीं थी। जांच एजेंसी के मुताबिक, सुमन दुबे ने सोनिया गांधी को, और ऑस्कर फर्नांडिस ने राहुल गांधी को शेयर ट्रांसफर किए थे। बाद में राहुल गांधी ने ये शेयर वापस फर्नांडिस को लौटा दिए। ईडी ने इन लेन-देन को केवल “कागजी दस्तावेज़” करार देते हुए इन्हें फर्जी बताया। एजेंसी का कहना है कि 2015 तक सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी ही AJL के लाभार्थी थे।
कोर्ट ने उठाए अहम सवाल
क्या किराया और विज्ञापन भी ‘अपराध की आय’?
कोर्ट ने पूछा कि क्या किराये और विज्ञापन के रूप में मिले पैसे को भी अपराध से अर्जित संपत्ति यानी POC माना गया है? इस पर ईडी के वकील और एएसजी एसवी राजू ने जवाब दिया, “जी हां, जो भी राशि धोखाधड़ी से अर्जित की गई है, वह POC की श्रेणी में आती है।”
साफ-साफ वर्गीकरण क्यों नहीं किया गया?
अदालत ने यह भी कहा कि ईडी ने जिन तीन श्रेणियों को POC बताया है, उन्हें स्पष्ट रूप से वर्गीकृत नहीं किया गया। उदाहरण के तौर पर, किराये के दो हिस्से— ₹29 करोड़ और ₹142 करोड़—में से केवल ₹142 करोड़ को POC बताया गया, जबकि बाकी ₹29 करोड़ को नहीं।
दानदाताओं को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?
कोर्ट ने सवाल किया कि जिन दानदाताओं पर फर्जी भुगतान का आरोप है, वे सभी पार्टी से जुड़े हैं और कुछ तो प्रमुख नेता भी हैं, लेकिन उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया। अगर उनका योगदान भी POC में आता है, तो क्या उन्हें भी ‘रेस्पोंडेंट’ नहीं माना जाना चाहिए?
ईडी का जवाब: अभी जांच जारी है
इस पर ईडी ने सफाई दी कि एजेंसी अभी जांच कर रही है कि कोई संपत्ति POC तब मानी जाती है जब उसे प्राप्त किया जाए या उससे पहले की प्रक्रिया में ही। एजेंसी ने कहा कि वे वर्तमान स्थिति में कुछ हिस्सों को POC मानते हैं और आगे की जांच के बाद इन्हें पूरक चार्जशीट (Supplementary Chargesheet) में शामिल किया जाएगा।