भिंड (मध्य प्रदेश)। चंबल इलाके में एक बार फिर पुरानी दुश्मनी का खूनी अंत सामने आया है। भिंड जिले के इकोरी गांव में तेरहवीं के भोज के दौरान 27 साल पुरानी रंजिश में युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमले में चार अन्य लोग भी घायल हुए हैं, जिन्हें इलाज के लिए ग्वालियर रेफर किया गया है।
इस सनसनीखेज घटना ने चंबल की उस पुरानी कहावत को फिर सच साबित कर दिया है — “खून का बदला खून”।
तेरहवीं में पहुंचा युवक, हुआ खौफनाक मर्डर
जानकारी के अनुसार, इकोरी गांव के निवासी विशंभर गुर्जर की तेरहवीं का कार्यक्रम था। इसमें गितोर गांव के पहलवान जतवीर सिंह गुर्जर भी शामिल होने आए थे। इसी दौरान उनकी मुलाकात 1998 में मारे गए उदयभान सिंह गुर्जर के बेटे नीलू गुर्जर से हो गई।
नीलू ने मौके पर ही बंदूक से ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। चार गोलियां जतवीर सिंह को लगीं, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना में चार अन्य लोग भी घायल हो गए हैं।
27 साल पुरानी दुश्मनी की खौफनाक दास्तान
यह कोई नई रंजिश नहीं थी। इसकी जड़ें 1986 में गितोर गांव में हुए जमीनी विवाद से जुड़ी हैं। जानिए पूरा घटनाक्रम:
✔ 1986: गितोर गांव में सिरनाम सिंह गुर्जर और पहाड़ सिंह गुर्जर के परिवारों के बीच जमीन को लेकर झगड़ा हुआ, जिसमें सिरनाम सिंह की हत्या कर दी गई।
✔ 1987: बदले में सतनाम गुर्जर के परिवार ने धनौली मोड़ पर हमला कर पांच लोगों की हत्या कर दी — पहाड़ सिंह गुर्जर, राम नारायण सिंह, सुरेश सिंह गुर्जर, वीरेंद्र सिंह गुर्जर, प्रहलाद सिंह गुर्जर।
✔ 1998: झगड़ा थमा नहीं, इसी परिवार के उदयभान सिंह गुर्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
✔ 2004: जतवीर सिंह के ताऊ की भी हत्या कर दी गई।
इसके बाद दोनों पक्षों में कई लोग जेल गए, कुछ लोग गांव छोड़कर बाहर बस गए, लेकिन दुश्मनी की आग बुझी नहीं। वर्षों की यह रंजिश आज फिर खूनी अंजाम तक पहुंच गई।
चार अन्य लोग भी घायल, पुलिस ने शुरू की जांच
फायरिंग में घायल हुए लोगों की पहचान राजेश जैन उर्फ कालू, सहदेव सिंह भदौरिया, शैलेंद्र गुर्जर और हरिओम गुर्जर के रूप में हुई है। सभी को मेहगांव अस्पताल से ग्वालियर रेफर किया गया है।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू कर दी गई है। इलाके में तनाव का माहौल बना हुआ है।
चंबल में क्यों बार-बार होती हैं ऐसी घटनाएं?
मध्य प्रदेश का चंबल इलाका लंबे समय से गैंगवार, पुरानी दुश्मनी और बदले की घटनाओं के लिए कुख्यात रहा है। जमीन विवाद, जातीय तनाव और व्यक्तिगत रंजिश अक्सर यहां खूनी रूप ले लेती हैं। प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद ऐसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
पुलिस प्रशासन की बड़ी चुनौती
चंबल में कानून व्यवस्था बनाए रखना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक:
- गांवों में गुटबाजी और पुरानी रंजिश अब भी ज़िंदा है।
- कई परिवार अब भी एक-दूसरे के खून के प्यासे हैं।
- ऐसे इलाकों में निगरानी और खुफिया तंत्र मजबूत करना जरूरी है।
निष्कर्ष
27 साल पुरानी रंजिश ने एक बार फिर एक युवक की जान ले ली। सवाल ये है कि क्या चंबल कभी रंजिश और हिंसा के इस दुष्चक्र से बाहर निकल पाएगा? या हर पीढ़ी को पुरानी दुश्मनी की आग में झुलसना ही पड़ेगा? पुलिस की सख्ती और समाज की जागरूकता ही इस समस्या का स्थायी समाधान हो सकती है।