मध्य प्रदेश के राजा-सोनम केस के बाद अब उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले का एक और नवविवाहित जोड़ा हनीमून ट्रिप के दौरान लापता हो गया है। कौशलेंद्र प्रताप सिंह और उनकी पत्नी अंकिता सिंह 29 मई को सिक्किम में एक सड़क हादसे का शिकार हुए थे। अब 11 दिन बीतने के बाद भी उनका कोई अता-पता नहीं है। हादसे के बाद परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है और वे सर्च ऑपरेशन में तेजी की मांग कर रहे हैं।
क्या हुआ था 29 मई को?
- कौशलेंद्र और अंकिता उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले हैं।
- 25 मई को वे हनीमून के लिए सिक्किम गए थे।
- 29 मई को जिस वाहन से वे यात्रा कर रहे थे, वह 1000 फीट गहरी खाई में गिर गया।
- हादसे में अन्य दो लोगों को सुरक्षित निकाला गया, लेकिन दंपति का कोई सुराग नहीं मिला।
- बचे लोगों ने पुष्टि की कि कौशलेंद्र और अंकिता उसी ट्रैवलर में सवार थे।
अब तक क्या मिला?
सर्च ऑपरेशन के दौरान वाहन से कई सामान मिले हैं, लेकिन कौशलेंद्र और अंकिता का कोई भी निजी सामान—न चप्पल, न कपड़े, न बैग—नहीं मिला है।
- कौशलेंद्र के पिता, शेर बहादुर सिंह, सोशल मीडिया के जरिए पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ से रेस्क्यू ऑपरेशन तेज करने की अपील कर चुके हैं।
- उनका कहना है, “जब तक मेरा बेटा और बहू नहीं मिलते, मैं सिक्किम नहीं छोड़ूंगा।”
5 मई को हुई थी शादी, 25 को गए थे हनीमून
परिवार के अनुसार:
- कौशलेंद्र और अंकिता की शादी 5 मई 2025 को हुई थी।
- 25 मई को वे हनीमून पर रवाना हुए थे।
- 29 मई को आखिरी बार परिवार की बात अंकिता से हुई थी।
- इसके बाद से उनका कोई संपर्क नहीं है।
परिजनों की भावनात्मक अपील
- अंकिता के पिता विजय सिंह डब्बू ने बताया कि बेटी बहुत खुश थी, लेकिन अब पूरे परिवार में मातम छाया है।
- उन्हें अभी भी भगवान पर भरोसा है कि बेटी और दामाद सकुशल लौट आएंगे।
सरकारी तंत्र से नाराज़ हैं परिजन
कौशलेंद्र के दादा, भाजपा नेता डॉ. उम्मेद सिंह ‘इन्सान’ ने सरकार की निष्क्रियता पर नाराजगी जाहिर की।
- उन्होंने कहा, “हमने सीएम, गवर्नर, गृह मंत्री और पीएमओ तक संपर्क किया, लेकिन कहीं से ठोस प्रतिक्रिया नहीं मिली।”
- उन्होंने ओडिशा सरकार की तत्परता का उदाहरण दिया, जो तुरंत सक्रिय हुई।
- उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार से उन्होंने सकारात्मक सहयोग की उम्मीद जताई थी, लेकिन निराशा हाथ लगी।
कौशलेंद्र और अंकिता के लापता होने की घटना ने एक बार फिर सिस्टम की सुस्ती और संवेदनशील मामलों में सरकारी उदासीनता को उजागर कर दिया है। अब वक्त है कि सरकार, प्रशासन और समाज मिलकर इस युवा जोड़े को सुरक्षित ढूंढने में पूरी ताकत लगाए।