देवर ने भरी भाभी की मांग, फिर दोनों ने बहुती प्रपात में लगाई छलांग
रिपोर्ट- अभय मिश्र, मऊगंज
मध्यप्रदेश के मऊगंज जिले के बहुती प्रपात, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार यह न तो पर्यटकों की चहल-पहल के लिए, न ही अपने मनोरम दृश्यों के लिए, बल्कि एक ऐसी प्रेम कहानी के लिए चर्चा में है, जिसने रिश्तों की मर्यादा को तोड़कर सामाजिक और पारिवारिक ढांचे पर सवाल उठा दिए। यह कहानी है 26 वर्षीय दिनेश साहू और उनकी 35 वर्षीय भाभी सकुंतला साहू की, जिन्होंने एक साथ बहुती प्रपात में छलांग लगाकर अपनी जिंदगी का अंत कर लिया।
प्रेम की शुरुआत: एक नाजायज रिश्ता
दिनेश साहू, ग्राम तेलिया बूढ़, पंचायत देवरा खटखरी का निवासी, और उनकी भाभी सकुंतला साहू, जिनके तीन छोटे बच्चे (11, 8 और 2 साल की बेटियाँ) हैं, के बीच का रिश्ता समाज की नजरों में एक सामान्य पारिवारिक बंधन था। लेकिन इस रिश्ते ने उस समय एक नया मोड़ लिया, जब दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और प्रेम पनपने लगा। यह प्रेम, जो सामाजिक और पारिवारिक सीमाओं को लांघ चुका था, उनके लिए एक जटिल और दर्दनाक स्थिति बन गया।
घटना से पहले, दिनेश ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया। उन्होंने सकुंतला की मांग में सिंदूर भरकर उन्हें अपनी पत्नी का दर्जा देने की कोशिश की। यह कृत्य न केवल रिश्तों की मर्यादा को चुनौती देता था, बल्कि सामाजिक दबाव और परिवार की नाराजगी को भी सामने लाता था।
इंस्टाग्राम वीडियो: आखिरी दर्द और आरोप
आत्महत्या से ठीक पहले, दिनेश और सकुंतला ने एक इंस्टाग्राम वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने अपने दर्द को दुनिया के सामने रखा। वीडियो में दिनेश ने कहा,
“हम बहुत परेशान हैं। हमारी मौत के जिम्मेदार हीरालाल साहू, राजेंद्र साहू, संतोष साहू, राजकुमार साहू और उनका पूरा परिवार है। हम हाथ जोड़कर सरकार से विनती करते हैं कि इन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए।”
इस वीडियो में दोनों ने परिवार के कुछ सदस्यों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया और बताया कि उनकी इस हालत के लिए ये लोग जिम्मेदार हैं। वीडियो में दिनेश ने अपने गांव का नाम भी बताया और फिर दोनों ने बहुती प्रपात की 600 फीट ऊंचाई से छलांग लगा दी। यह वीडियो न केवल उनकी आखिरी आवाज बन गया, बल्कि समाज में कई सवाल भी छोड़ गया।
बहुती प्रपात: आत्महत्याओं का गढ़?
बहुती प्रपात, जो मध्यप्रदेश के सबसे ऊंचे जलप्रपातों में से एक है, पहले भी आत्महत्याओं और हादसों के लिए कुख्यात रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, यहां अब तक 100 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसके बावजूद, इस स्थान पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी एक बड़ा सवाल है। टूटी हुई रेलिंग, कोई चेतावनी बोर्ड न होना, और पुलिस की निगरानी का अभाव इस स्थान को और खतरनाक बनाता है।
पुलिस महानिरीक्षक ने पहले ही इस स्थान पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए थे, लेकिन इन निर्देशों का पालन नहीं हो सका। इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने एनडीआरएफ की टीम को बुलाया, लेकिन तेज बहाव और ऊंचाई के कारण शवों की तलाश अब भी एक चुनौती बनी हुई है।
सामाजिक दबाव और मानसिक स्वास्थ्य: एक अनदेखा पहलू
यह घटना केवल एक प्रेम कहानी का दुखद अंत नहीं है, बल्कि यह सामाजिक दबाव, पारिवारिक अपेक्षाओं और मानसिक स्वास्थ्य जैसे गंभीर मुद्दों की ओर भी इशारा करती है। दिनेश और सकुंतला ने अपने वीडियो में बताया कि वे मानसिक रूप से प्रताड़ित थे। क्या सामाजिक मर्यादाओं और परिवार की अस्वीकृति ने उन्हें इस कदम तक पहुंचाया? क्या मानसिक स्वास्थ्य के प्रति हमारा समाज अभी भी उदासीन है? ये सवाल इस घटना को और गंभीर बनाते हैं।
सकुंतला के तीन छोटे बच्चे, जो अब अनाथ हो चुके हैं, इस त्रासदी का सबसे दुखद हिस्सा हैं। उनके भविष्य और इस घटना के सामाजिक प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

प्रशासन की लापरवाही: सवालों के घेरे में
इस घटना ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। बहुती प्रपात जैसे खतरनाक स्थान पर सुरक्षा व्यवस्था का अभाव क्यों है? अगर समय रहते रेलिंग की मरम्मत, चेतावनी बोर्ड और पुलिस की तैनाती जैसे कदम उठाए गए होते, तो शायद यह त्रासदी टल सकती थी।
एक प्रेम कहानी का दर्दनाक अंत
दिनेश और सकुंतला की कहानी प्रेम, पीड़ा और सामाजिक दबाव के बीच उलझी एक ऐसी गाथा है, जो समाज को सोचने पर मजबूर करती है। क्या प्रेम के लिए मर्यादाओं को तोड़ना उचित है? क्या सामाजिक दबाव इतना प्रबल हो सकता है कि लोग अपनी जान देने को मजबूर हो जाएं? और सबसे बड़ा सवाल—क्या हमारा समाज और प्रशासन ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए तैयार है?
यह कहानी केवल दो लोगों की नहीं, बल्कि उन तमाम लोगों की है, जो सामाजिक बेड़ियों और मानसिक दबाव में जकड़े हुए हैं। बहुती प्रपात अब केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक ऐसी जगह बन चुका है, जो बार-बार हमें हमारी कमियों की याद दिलाता है।
क्या आप इस घटना पर अपने विचार साझा करना चाहेंगे? नीचे कमेंट करें और इस कहानी को शेयर करें ताकि समाज में जागरूकता फैले।