रिपोर्ट: अविनाश गुप्ता
देहरादून: फागुन मास में मनाया जाने वाला होली का त्योहार रंगों के साथ-साथ मिठाइयों की मिठास से भी भरपूर होता है। खासतौर पर गुंजिया के बिना होली अधूरी मानी जाती है। उत्तराखंड सहित राजधानी देहरादून की मिठाई की दुकानों पर तरह-तरह की गुंजिया की रौनक इस बात का संकेत देती है कि होली का उत्सव नजदीक आ गया है।
हर कोई गुंजिया का स्वाद लेना चाहता है, और हलवाई की दुकानों में चाशनी वाली, ड्राई फ्रूट से भरपूर सूखी गुंजिया, समोसा रूपी गुंजिया जैसी कई तरह की वैरायटी बनाई जा रही हैं। व्यापारियों का कहना है कि होली के त्योहार पर गुंजिया की मांग हमेशा अधिक रहती है, क्योंकि यह इस पर्व का एक खास हिस्सा होती है।
त्योहारी सीजन में जांच से व्यापार पर असर
मिठाई व्यवसायी अरुण गोयल ने बताया कि त्योहारों के दौरान खाद्य विभाग द्वारा मावा और अन्य सामग्रियों की सैंपलिंग और छापेमारी की जाती है, जिससे ग्राहकों में संदेह की स्थिति बन जाती है और वे खरीदारी करने से हिचकिचाते हैं। इस वजह से व्यापार पर भी प्रभाव पड़ता है।
उन्होंने बताया कि उनका संस्थान 80 वर्षों से ग्राहकों की सेवा कर रहा है, और लोगों का उन पर पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां देसी घी से लेकर डालडा तक कई प्रकार की गुंजिया उपलब्ध हैं। इसके अलावा चंद्रकला, समोसा गुंजिया, कांजी बड़ा, चुकंदर की कांजी और छाछ का पल्ला भी ग्राहकों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, जो होली पर विशेष रूप से पसंद किए जाते हैं।
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