दतियाः चंबल अंचल में इन दिनों हर्ष फायर की घटना आए दिन देखने को मिल रही है। पुलिस इन मामलों पर कार्रवाई भी करती है। लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में अब युवाओं का शौक रील बनाने में लग गया है। युवा वर्ग हथियारों के साथ सोशल मीडिया पर रील बना रहे है। जबकि यह गैरकानूनी है। लेकिन इसके बावजूद भी यह शौक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूर्व में ग्वालियर कलेक्टर ने आदेश पारित किया था कि जो भी हर्ष फायर, या फिर फायर करे हुए रील बनाएगा उसका हथियार का लाइसेंस निरस्त कर दिया जाएगा, इसके बावजूद भी लोग मानने को तैयार नहीं हो रहे है। हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें एक 15 साल का नाबालिग राइफल के साथ रील बना रहा है।
दतिया के इंदरगढ़ का बताया जा रहा वीडियो
जानकारी के मुताबिक सुमित बघेल उम्र 15 इंदरगढ़ नाम का नाबालिग राइफल के साथ रील बना रहा है। जबकि प्राप्त जानकारी के अनुसार वीडियो में जिस राइफल के साथ नाबालिग वीडियो में नजर आ रहा है। वह किसकी है कहां से आई यह बड़ा सवाल है।? नियम के मुताबिक नाबालिग को हथियार देना प्रतिबंध है लेकिन कानून को तांक पर रखकर रील बनाई जा रही है।
नाबालिग को बंदूक देना है अपराध ?
नाबालिग को बंदूक देना एक आपराधिक कृत है, ऐसे में नाबालिग के अभिभावक पर कानूनी शिकंजा कसा जा सकता है साथ ही हथियार का लाइसेंस भी निरस्त किया जा सकता है। अब देखना यह है कि इस मामले में इंदरगढ़ पुलिस क्या कार्रवाई करती है।
भारत में बच्चों को बंदूक या किसी भी प्रकार के हथियार देना कानूनी और नैतिक रूप से गलत है। इसके लिए भारत में कई कड़े कानून और प्रतिबंध हैं:
1. आर्म्स एक्ट, 1959
- भारत में बंदूक रखने के लिए एक वैध लाइसेंस आवश्यक है। यह लाइसेंस केवल 21 साल से अधिक आयु के व्यक्ति को दिया जा सकता है।
- किसी नाबालिग (18 साल से कम उम्र) को बंदूक देना या उसके पास बंदूक रखना गैरकानूनी है।
- बिना लाइसेंस के हथियार रखना दंडनीय अपराध है, जिसमें सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
2. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015
- यदि कोई बच्चा बंदूक या किसी अन्य खतरनाक हथियार का उपयोग करता है, तो उसके अभिभावकों या संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
- इस कानून का उद्देश्य बच्चों को किसी भी प्रकार के हिंसात्मक और खतरनाक गतिविधियों से बचाना है।
3. भारतीय दंड संहिता (IPC)
- यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे को बंदूक देकर या उसे हिंसात्मक गतिविधियों में शामिल करके खतरे में डालता है, तो उसे भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दंडित किया जा सकता है।
सामाजिक और नैतिक प्रभाव:
- बच्चों को हथियार देना उनके मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- यह उनके व्यवहार में आक्रामकता को बढ़ावा दे सकता है और गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।
बच्चे को बंदूक देना न केवल अवैध है बल्कि समाज और बच्चे के भविष्य के लिए भी खतरनाक है। ऐसा करने से बचना चाहिए और बच्चों को हिंसा से दूर रखने के लिए उन्हें सकारात्मक और सुरक्षित माहौल प्रदान करना चाहिए।