महाराष्ट्र में देवेंद्र गंगाधर राव फडणवीस ने कुर्सी की रेस में वो करिश्मा कर दिखाया जो एमपी में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे नहीं कर पाए। सवाल यही है कि आखिर क्या वो कारण हैं, कि बीजेपी हाईकमान महाराष्ट्र में एमपी, राजस्थान और हरियाणा का फॉर्मूला नहीं दोहरा पाई। आखिर क्या वो फैक्टर हैं जिसने फडणवीस को महाराष्ट्र का नायक बना दिया।
आइए देखते हैं
महाराष्ट्र के ‘नायक’: पहला फैक्टर
महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी के जोरदार प्रदर्शन में फडणवीस ने अपने योगदान का पुरजोर दावा किया है। वे चुनाव-प्रचार अभियान के दौरान पार्टी का मुख्य चेहरा थे और उन्होंने राज्य के सभी 6 क्षेत्रों में 60 से ज्यादा रैलियां कीं।
महाराष्ट्र के ‘नायक’: दूसरा फैक्टर
देवेंद्र फडणवीस को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि संघ की पहली पसंद रहे। और संघ से उन्हें पूरा समर्थन मिला। मुख्यमंत्री के रूप में नाम तय होने के बाद फडणवीस ने सबसे पहले संघ हेडक्वार्टर में ही फोन लगाया। संघ इस बात पर अड़ा हुआ था कि बीजेपी को कार्यकर्ताओं का मनोबल ऊंचा रखने के लिए इस बार मुख्यमंत्री पद के लिए किसी लो-प्रोफाइल चेहरे को नहीं चुनना चाहिए और फडणवीस ही इस पद के लिए उसकी पहली पसंद हैं।
महाराष्ट्र के ‘नायक’: तीसरा फैक्टर
क्षेत्रीय क्षत्रपों को साधना हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता, लेकिन फडणवीस ने ना सिर्फ खुद को महाराष्ट्र की राजनीति में स्थापित किया है। बल्कि संकटमोचक बनकर 2022 में जब शिवसेना टूटी तो जोरदार तरीके से एनडीए की सरकार बनाने में अपनी भूमिका निभाई।
महाराष्ट्र के ‘नायक’: चौथा फैक्टर
महाराष्ट्र की राजनीति में फडणवीस जनता में सबसे भरोसेमंद ब्रांड बन गए हैं। एक तेज तर्रार नेता जो गठबंधन की गांठें भी मजबूत रख सकता है और सरकार को भी बेहतर तरीके से चला सकता है.
महाराष्ट्र के ‘नायक’: पांचवा सबसे बड़ा फैक्टर
लोकसभा चुनाव में संघ के असहयोग की कीमत बीजेपी को चुकानी पड़ी थी इसलिए बीजेपी हाईकमान संघ से मिले इस संदेश को नजरअंदाज नहीं कर सका। महाराष्ट्र में बीजेपी के पैटर्न में आए अचानक बदलाव से ये साफ है कि दोनों राज्यों के चुनावों में संघ ने अपनी पूरी ताकत लगाई है। देवेंद्र फडण्वीस को कमान के कारण जो भी रहे हों लेकिन बीजेपी हाईकमान के इस निर्णय को लेकर राजनीतिक गलियारों में ये भी चर्चा है कि क्या देवेंद्र फडणवीस…अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के साथ अगली पीढ़ी के नेताओं की उभरती हुई कतार में जगह बनाने के लिए तैयार हैं, जिन्हें जरूरत पड़ने पर नरेंद्र मोदी के बाद के लिए तैयार किया जा रहा है…इस कयास में कितना दम है। ये हम आप पर छोड़ते हैं। लेकिन ये भी सही है कि नायक देवेंद्र फडण्वीस के सामने अब चुनौतियों का अंबार है. वे इससे कैसे पार पाएंगे…ये देखने वाली बात होगी।