केंद्र सरकार ने नियत सीमा निर्धारण (delimitation) को लेकर दक्षिणी राज्यों की चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को घोषणा की कि नियत सीमा निर्धारण के बाद दक्षिणी राज्यों की एक भी सीट कम नहीं होगी। यह बयान तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के उस दावे के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह प्रक्रिया “दक्षिण भारत के सिर पर लटकती तलवार” है।

नियत सीमा निर्धारण पर अमित शाह का आश्वासन
कोयंबटूर, तिरुवन्नमलई और रामनाथपुरम में भाजपा कार्यालयों के उद्घाटन के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, “मोदी सरकार ने लोकसभा में स्पष्ट कर दिया है कि नियत सीमा निर्धारण के बाद दक्षिणी राज्यों की सीटों में कोई कमी नहीं आएगी। प्रति जनसंख्या के आधार पर सीटें तय की जाएंगी और जो बढ़ोतरी होगी, उसमें दक्षिणी राज्यों को उचित हिस्सा मिलेगा।”
उन्होंने तमिलनाडु के लोगों को आश्वस्त करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपके हितों का पूरा ध्यान रखा है। दक्षिणी राज्यों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा।” यह बयान उस समय आया जब स्टालिन ने दावा किया था कि तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों में से 8 सीटें कम होकर 31 रह सकती हैं।
स्टालिन पर शाह का पलटवार
अमित शाह ने स्टालिन पर तमिलनाडु की जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “स्टालिन झूठ बोल रहे हैं और नियत सीमा निर्धारण के बहाने लोगों का ध्यान अपनी सरकार की नाकामियों से हटा रहे हैं। मैं उनसे जवाब मांगता हूं कि वे जनता के सामने गलत दावे क्यों कर रहे हैं?”
शाह ने डीएमके सरकार पर भ्रष्टाचार, शासन और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर भी हमला बोला। उन्होंने कहा, “डीएमके भ्रष्टाचार में मास्टर डिग्री वाली पार्टी है। 2जी घोटाले से लेकर रेत खनन तक, उनके नेता कई कांडों में शामिल रहे हैं।”
दक्षिणी राज्यों की चिंता और इसका समाधान
क्यों उठ रही है चिंता?
50 साल बाद प्रस्तावित नियत सीमा निर्धारण से दक्षिणी राज्य परेशान हैं। उनका मानना है कि जनसंख्या के आधार पर होने वाली यह प्रक्रिया उनके हितों को नजरअंदाज कर सकती है। दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि उत्तरी राज्यों की जनसंख्या तेजी से बढ़ी है। ऐसे में सीटों का बंटवारा दक्षिणी राज्यों की संसदीय हिस्सेदारी को कम कर सकता है।
शाह का समाधान
अमित शाह ने इस चिंता को खारिज करते हुए कहा कि दक्षिणी राज्यों को न सिर्फ उनकी मौजूदा सीटें बरकरार रहेंगी, बल्कि बढ़ोतरी में भी हिस्सा मिलेगा। उन्होंने 2026 के विधानसभा चुनाव को तमिलनाडु के लिए निर्णायक बताते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं से एनडीए सरकार स्थापित करने की अपील की।
तमिलनाडु का भविष्य
शाह ने डीएमके को “जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी” करार देते हुए कहा, “यहां से अलगाववादी और विभाजनकारी विचारधाराओं को खत्म करने का समय आ गया है।” उन्होंने तमिलनाडु में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठाए और इसे अन्य राज्यों की तुलना में खराब बताया।
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