ईरान ने फिर दुनिया को चौंकाया
मध्य-पूर्व में जारी तनातनी एक बार फिर उस मुकाम पर पहुंच गई, जहां से जंग कभी भी बड़े स्तर पर फैल सकती थी। अमेरिका और इजराइल ने ईरान पर हमला किया, लेकिन नतीजा वैसा नहीं रहा जैसा उन्होंने सोचा था। उल्टा, ईरान ने न सिर्फ खुद को संभाला बल्कि रणनीतिक बढ़त भी हासिल कर ली।
अमेरिकी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) की रिपोर्ट भी यही साबित कर रही है।
न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला… लेकिन नतीजा उल्टा
- रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला जरूर हुआ।
- नुकसान भी हुआ, लेकिन ईरान का पूरा न्यूक्लियर प्रोग्राम सुरक्षित रहा।
- गहरी सुरंगों में बनाए गए ठिकाने और स्मार्ट तरीके से छुपाया गया सामान बचा रहा।
- ईरान पहले ही सतर्क था, उसने 60% तक एनरिच्ड यूरेनियम और सेंट्रीफ्यूज मशीनें दूसरी जगह शिफ्ट कर दी थीं।
यही मशीनें परमाणु हथियार बनाने में इस्तेमाल होती हैं। ऐसे में साफ है कि ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम खत्म नहीं हुआ, बस कुछ महीने पीछे जरूर चला गया।
अमेरिका और इजराइल का बड़ा गेम प्लान क्या था?
ईरान पर हमला सिर्फ न्यूक्लियर ठिकानों को तबाह करने के लिए नहीं था। असली योजना थी ईरान की सरकार को गिराना और वहां पर पुरानी ‘शाह शासन’ जैसी सत्ता बहाल करना।
ऑपरेशन ‘राइजिंग लायन’ क्या है?
- यह कोई साधारण नाम नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत था।
- 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले ईरान में ‘शेर और सूरज’ वाला झंडा था।
- अमेरिका और इजराइल चाहते हैं कि ईरान की मौजूदा इस्लामी सरकार हटे और फिर से पश्चिमी समर्थक सरकार आए।
लेकिन उनका ये सपना फिलहाल चकनाचूर हो गया।
13 जून से शुरू हुई जंग: ईरान ने दिया करारा जवाब
13 जून की सुबह इजराइल ने ईरान पर हमला कर दिया। राजधानी तेहरान समेत कई शहरों में जोरदार धमाके हुए।
प्रमुख घटनाएं:
- तेहरान, इस्फहान, तबरीज, करमानशाह, हमदान, कुम जैसे शहर निशाने पर।
- नतंज न्यूक्लियर साइट, अराक हेवी वॉटर रिएक्टर और पारचीन मिलिट्री कॉम्प्लेक्स पर हमले।
- शुरुआत में ईरान कमजोर दिखा, लेकिन जल्द ही हालात बदले।
- ईरान ने सटीक बैलिस्टिक मिसाइलें इजराइल पर दागीं।
- इजराइल के सेंट्रल मिलिट्री कमांड सेंटर को भारी नुकसान।
- 100 से ज्यादा ड्रोन इजराइल भेजे।
इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू को कहना पड़ा कि जंग लंबी खिंच सकती है, सभी लोग बंकरों में चले जाएं।
अमेरिका की मजबूरी और दखल
शुरुआत में अमेरिका ने खुद को अलग रखा, लेकिन जब इजराइल पर दबाव बढ़ा, ट्रंप ने ईरान को धमकियां देनी शुरू कर दीं। ईरान का जवाब सख्त था। उसने खुद अमेरिका के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया।
इसके अलावा:
- ईरान ने अपने न्यूक्लियर प्रोग्राम को और गोपनीय बना दिया।
- इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) से दूरी बढ़ा ली।
- अमेरिकी और इजराइली प्लान पर पानी फिर गया।
इजराइल की अंदरूनी राजनीति में हलचल
- नेतन्याहू की सरकार पहले से विरोध झेल रही थी।
- ईरान ने लगातार हमास, हिजबुल्ला और हूती विद्रोहियों के जरिए इजराइल को घेर रखा था।
- लेबनान की सरकार की चेतावनी के चलते हिजबुल्ला ने खुलकर साथ नहीं दिया।
- बावजूद इसके, ईरान ने अकेले दम पर इजराइल को बड़ा झटका दिया।
अमेरिका और इजराइल की ‘खामोश तैयारी’ भी फेल
- अमेरिका ने 16 जून को यूरोप में 32 टैंकर एयरक्राफ्ट्स भेजे।
- USS Nimitz एयरक्राफ्ट कैरियर को वियतनाम छोड़कर मिडिल ईस्ट भेजा गया।
- साउथ चाइना सी से अमेरिकी फ्लीट को खींचकर मिडिल ईस्ट में तैनात किया गया।
तैयारी बड़ी थी, पर रणनीति धराशायी हो गई। ईरान कमजोर नहीं पड़ा, बल्कि और मजबूत होकर उभरा।
ईरान की असली जीत क्या है?
- न्यूक्लियर ठिकाने बचाना ही नहीं, राजनीतिक मोर्चे पर भी अमेरिका-इजराइल को मात देना।
- देश के भीतर सरकार और जनता में भरोसा मजबूत हुआ।
- अरब देशों में ईरान की ताकत का संदेश गया।
- अमेरिका और इजराइल को खुला हमला करने का बहाना भी नहीं मिला।
नतीजा: नया मिडिल ईस्ट बन रहा है
जाहिर है, ईरान अब सिर्फ बचाव में नहीं, बल्कि मिडिल ईस्ट में खुद को एक निर्णायक ताकत के रूप में स्थापित कर रहा है। अमेरिका और इजराइल की साजिशें फिलहाल विफल दिख रही हैं। आने वाले समय में यह संघर्ष किस ओर मुड़ता है, यह देखना दिलचस्प होगा।
निष्कर्ष: क्या ईरान असल में विजेता है?
तकनीकी रूप से देखें तो ईरान ने न सिर्फ अपने ठिकाने बचाए बल्कि पश्चिमी दुनिया को उसकी जगह भी दिखा दी। हालांकि जंग पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। तनाव बना रहेगा, लेकिन फिलहाल बाजी ईरान के हाथ में है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
Q. क्या ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम खत्म हो गया?
नहीं, ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम सुरक्षित है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि ईरान ने पहले से ही जरूरी सामान दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया था।
Q. ऑपरेशन ‘राइजिंग लायन’ क्या था?
यह अमेरिका-इजराइल की ईरान सरकार को गिराने की एक गुप्त योजना थी, जो फिलहाल असफल रही।
Q. क्या अमेरिका इस जंग में कूद चुका है?
अमेरिका ने अभी सीधी कार्रवाई नहीं की है, लेकिन उसने सैन्य तैयारियां जरूर तेज कर दी हैं।
Q. मिडिल ईस्ट की राजनीति पर इसका क्या असर पड़ेगा?
ईरान की ताकत और प्रभाव बढ़ा है। अरब देशों में उसका कद ऊंचा हुआ है और अमेरिका-इजराइल की साख को धक्का लगा है।