हिमाचल प्रदेश इस समय बादल फटने और अचानक बाढ़ की घटनाओं से जूझ रहा है। राज्य के कई इलाकों में भारी तबाही मची है, जिससे जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। हालात इतने गंभीर हैं कि 325 सड़कें यातायात के लिए बंद करनी पड़ी हैं, जबकि कई पुल और संरचनाएं बाढ़ में बह गए हैं।
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बादल फटने और बाढ़ से तबाही
- शिमला और लाहौल-स्पीति जिलों में हाल ही में आई बाढ़ ने कई पुलों को अपने साथ बहा दिया।
- दो राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 325 सड़कें यातायात के लिए बंद कर दी गई हैं।
- गानवी घाटी में बाढ़ का पानी इतना तेज था कि एक पुलिस चौकी तक बह गई।
- शिमला जिले में एक बस स्टैंड और आसपास की दुकानें भारी बारिश में क्षतिग्रस्त हो गईं।
लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया
- करपट गांव में खतरा देखते हुए लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया गया।
- स्थानीय निवासी रंजीत लाहौली के अनुसार, करीब 10 बीघा कृषि भूमि पूरी तरह बर्बाद हो गई है।
- कुल्लू जिले के कुर्पन खड्ड (जाओं) में भी बाढ़ आने की खबर है।
- प्रशासन ने बागीपुल-निरमंड और कुर्पन खड्ड के पास रहने से लोगों को सख्त चेतावनी दी है।
मुख्य सड़कों पर यातायात ठप
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) के मुताबिक:
- औट-सैंज रोड (राष्ट्रीय राजमार्ग-305 का हिस्सा) और खाब-ग्रामफू रोड (राष्ट्रीय राजमार्ग-505) पूरी तरह बंद हैं।
- 179 सड़कें मंडी जिले में और 71 सड़कें कुल्लू जिले में बंद हैं।
- टॉलैंड के पास सर्कुलर रोड पर पेड़ गिरने से स्कूल जाने वाले बच्चों और ऑफिस कर्मचारियों को पैदल जाना पड़ा।
मॉनसून का भारी नुकसान
- 20 जून से अब तक राज्य को 2031 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ है।
- बारिश से जुड़ी घटनाओं में 126 लोगों की मौत और 36 लोग लापता हैं।
- इस मानसून में अब तक 63 अचानक बाढ़, 31 बादल फटने और 57 बड़े भूस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं।
हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। प्रशासन लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटा है, लेकिन मौसम विभाग की चेतावनियों को देखते हुए लोगों से सतर्क और सुरक्षित रहने की अपील की जा रही है।