24-25 फरवरी 2025 को भोपाल में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (जीआईएस) होने वाला है, और ये हमारे शहर के लिए बड़ा मौका लेकर आया है। बात सिर्फ फैक्ट्रियों और धंधों की नहीं है, बल्कि भोपाल को हरी-भरी ऊर्जा का सितारा बनाने की है। मध्य प्रदेश में सोलर, पवन और बायो-ऊर्जा की बातें तो खूब होती हैं, पर भोपाल की कहानी अभी तक ठीक से सुनाई नहीं गई। चलो, इस बार भोपाली अंदाज में इस छुपी हुई दास्ताँ को खोलते हैं, और देखते हैं कि हमारा शहर हरित ऊर्जा में कैसे कमाल कर सकता है।
दुनिया का मूड और भोपाल का मौका
आजकल दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन और हरी ऊर्जा की बात जोरों पर है। कोयला-पेट्रोल को अलविदा कहकर सूरज, हवा और कचरे से बिजली बनाने का चलन बढ़ रहा है। भारत भी इसमें पीछे नहीं है, और मध्य प्रदेश तो आगे-आगे चल रहा है। अब भोपाल, जो कि हमारा दिल है, वो हरित ऊर्जा का नया हब बन सकता है। सूरज की रोशनी, हवा का झोंका और खेतों का कचरा – सब कुछ तो हमारे पास है। बस जरूरत है इसे जीआईएस 2025 में दुनिया को दिखाने की।
मध्य प्रदेश की पॉलिसी, भोपाल की नजर से
मध्य प्रदेश सरकार ने हरी ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े प्लान बनाए हैं। 2030 तक आधी बिजली सूरज, हवा और पानी से बनाने का टारगेट है। और भोपाल इसमें बड़ा रोल अदा कर सकता है। चलो, इसे ठीक भोपाली स्टाइल में समझते हैं:
सूरज की ताकत
भोपाल में तो साल भर धूप खिली रहती है। मंडीदीप, गोविंदपुरा और बागरोदा जैसे इलाकों में सोलर पैनल लगाओ, बिजली बनाओ और पैसे कमाओ। जीआईएस में ये जगहें दिखाओ तो बड़े-बड़े सेठ लोग इन्वेस्ट करने को तैयार हो जाएंगे। ऊपर से नौजवानों को नौकरी भी मिलेगी।
हवा का खेल
हवा से बिजली बनाने में इंदौर का नाम ज्यादा सुनाई देता है, पर भोपाल की पहाड़ियाँ और खुली जमीन भी कुछ कम नहीं। छोटे-मोटे पवन चक्की लगाकर हवा और सूरज को मिलाकर बिजली बनाई जा सकती है। ये आइडिया जीआईएस में पेश करो, तो देखो कैसे लोग लाइन लगाते हैं।
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कचरे से कमाई
हमारा मध्य प्रदेश खेती का मास्टर है, और भोपाल इसके बीचों-बीच। खेतों का कचरा, गोबर और बेकार चीजों से बायो-सीएनजी, ब्रिकेट और बायोडीजल बन सकता है। जीआईएस में सरकार की नई ‘जैव ईंधन योजना-2025’ की बात करो, और भोपाल को इसका बड़ा ठिकाना बनाओ।
जीआईएस 2025: भोपाल को हरा-भरा बनाने का टाइम
ये समिट कोई आम मीटिंग नहीं है। ये पूरी तरह हरी ऊर्जा से चलेगा – न कोयला, न पेट्रोल। ये अपने आप में भोपाल की ताकत दिखाता है।
पैसा लगाने का मौका
समिट में बड़े-बड़े लोग आएंगे। बाबई-मोहसा को देश का सबसे बड़ा सोलर हब बनाओ, और दुनिया को बताओ। कचरे से बायो-ऊर्जा और हवा से बिजली के छोटे प्रोजेक्ट भी दिखाओ। भोपाली माल को ऐसा पेश करो कि हर कोई इन्वेस्ट करने को तैयार हो जाए।
सरकार का सपोर्ट
सरकार भी कमाल कर रही है। बायोफ्यूल प्लांट के लिए 200 करोड़ तक की मदद, बिजली-पानी पर 50% छूट (5 करोड़ तक), और 10 साल तक बिजली बिल में राहत। भोपाल में ये सब लेकर आओ, तो धंधा अपने आप चमक जाएगा।
ये कहानी छुपी क्यों रही?
भोपाल की हरी ऊर्जा की बात अभी तक ढंग से उठी ही नहीं। कारण साफ हैं:
- बात अधूरी: मध्य प्रदेश की पॉलिसी की चर्चा होती है, पर भोपाल का जिक्र नहीं।
- प्रमोशन कम: हमारे शहर की ताकत को बाहरी लोगों तक पहुंचाया नहीं गया।
- रीवा-इंदौर का जलवा: बाकी जगहों की चमक में भोपाल पीछे रह गया।
अब जीआईएस 2025 के साथ मौका है कि भोपाल की हरी ऊर्जा को चमकाया जाए। ये शहर अब छुपा नहीं रह सकता।
भोपाल का हरा-भरा सपना
भोपाल में हरी ऊर्जा सिर्फ पैसा कमाने की बात नहीं है। ये पर्यावरण बचाने, नौकरी देने और तरक्की का रास्ता है। जीआईएस से कुछ ऐसा करो:
- सोलर पार्क: आसपास बड़ा सोलर पार्क बनाओ, जो बिजली की जरूरत पूरी करे।
- कचरे का धंधा: गाँवों से कचरा लाकर बायो-ऊर्जा बनाओ।
- दो का एक: सूरज और हवा को मिलाकर सस्ती और टिकाऊ बिजली बनाओ।
आखिरी बात
जीआईएस 2025 भोपाल के लिए बड़ा मौका है। हमारा शहर सूरज, हवा और कचरे से बिजली बनाकर न सिर्फ मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश का सिर ऊंचा कर सकता है। ये छुपी हुई कहानी अब बाहर आने का टाइम है। बड़े इन्वेस्टर्स को बुलाओ, भोपाल को हरा-भरा बनाओ, और देखो कैसे हमारा शहर चमकता है। भोपाल तैयार है – अब दुनिया को देखने दो हमारी ताकत!
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