BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर, – ग्वालियर में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के एक पूर्व शाखा प्रबंधक और एक निजी निर्माण कंपनी के निदेशक के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। आरोप है कि दोनों ने मिलकर पहले से गिरवी रखी गई संपत्ति पर दोबारा ऋण प्राप्त किया। यह एफआईआर कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद दर्ज की गई।
2016 में हुआ था पहला लोन
यह मामला वर्ष 2016 का है, जब जैतल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने ग्वालियर के सिटी सेंटर स्थित एसबीआई शाखा से एक प्रॉपर्टी को गिरवी रखकर ऋण प्राप्त किया था। बाद में, कंपनी के निदेशक वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने उसी संपत्ति को दोबारा गिरवी रखकर तत्कालीन बैंक मैनेजर की मिलीभगत से ₹11.74 लाख का अतिरिक्त लोन प्राप्त कर लिया।
घोटाले की जानकारी आठ साल बाद मिली
कंपनी के एक अन्य निदेशक भूपेश कुमार वर्मा को इस अनियमितता की जानकारी तब मिली जब उन्होंने हाल ही में प्रॉपर्टी से संबंधित दस्तावेजों की जांच की। उन्होंने देखा कि संबंधित संपत्ति अभी भी बैंक के कब्जे में है और उस पर ‘एसबीआई द्वारा कब्जा की गई संपत्ति’ का बोर्ड लगा हुआ है।
कोर्ट ने दिया एफआईआर का आदेश
भूपेश वर्मा ने शुरुआत में झांसी रोड थाना में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन अपेक्षित कार्रवाई न होने पर वे अदालत की शरण में गए। कोर्ट के निर्देश के बाद पुलिस ने कूटरचित दस्तावेजों और आपराधिक साजिश के तहत वीरेंद्र कुमार गुप्ता और एसबीआई के तत्कालीन शाखा प्रबंधक के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया।
पुलिस को दोनों आरोपी नहीं मिले
सूत्रों के अनुसार, जैतल कंस्ट्रक्शन का दफ्तर हरीशंकरपुरम में है, जबकि शिकायतकर्ता भूपेश वर्मा बिरला नगर की न्यू कॉलोनी नंबर 2 में रहते हैं। फिलहाल पुलिस दोनों आरोपियों की तलाश कर रही है और जांच की प्रक्रिया जारी है।