गाजा पट्टी एक बार फिर दुनिया की नजरों में है—लेकिन इस बार वजह और भी ज्यादा दर्दनाक है। इजरायली हमलों, भूख और मेडिकल संकट ने गाजा को “नर्क” बना दिया है। पिछले 24 घंटों में इजरायली हमलों में 72 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 21 बच्चों ने सिर्फ भूख के कारण दम तोड़ दिया है। संयुक्त राष्ट्र और दुनिया के 28 देशों ने इजरायल से युद्ध रोकने की अपील की है, लेकिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।
72 घंटे में भूख से 21 बच्चों की मौत
गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पुष्टि की है कि बीते 72 घंटों में:
- 21 बच्चों की मौत भूख और कुपोषण से हुई है
- मृतकों में एक डेढ़ महीने का शिशु भी शामिल है
- युद्ध की शुरुआत के बाद से 101 लोग भूख से मर चुके हैं, जिनमें 80 बच्चे हैं
यह स्थिति साफ दर्शाती है कि युद्ध से कहीं ज्यादा खतरनाक अब भूख बन चुकी है।
गाजा में युद्ध से ज्यादा जानलेवा बन चुकी है भूख
भोजन और चिकित्सा की भारी किल्लत
गाजा में जरूरी आपूर्ति पर इजरायल का नियंत्रण है। इस कारण:
- विस्थापितों तक राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही
- पानी, खाना और दवाइयों की गंभीर कमी है
- मदद मांगने आए लोगों पर गोलीबारी की घटनाएं सामने आई हैं
UNRWA प्रमुख फिलिप लाजारिनी ने इजरायली नीतियों को “क्रूर मौत का जाल” बताया है।
‘धरती पर नर्क’ जैसी स्थिति – UN प्रमुख
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने सुरक्षा परिषद में कहा:
“गाजा में भुखमरी हर दरवाजे पर दस्तक दे रही है। मानवीय व्यवस्था अंतिम सांसें गिन रही है। स्थिति अत्यंत चिंताजनक है।”
गुटेरेस के इस बयान से साफ है कि गाजा की हालत अब मानवता के लिए चेतावनी बन चुकी है।
WHO पर हमला, मदद भी नहीं बची सुरक्षित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बताया कि:
- इजरायली सेना ने दीर अल बला में उनके कर्मचारियों के आवास और गोदाम पर तीन बार हमला किया
- हमलों में भारी क्षति हुई और आग लग गई
ये हमले बताते हैं कि यहां मेडिकल स्टाफ भी सुरक्षित नहीं हैं।
दुनिया की अपीलें, लेकिन इजरायल अडिग
ब्रिटेन, जापान और कई यूरोपीय देशों समेत 28 देशों ने युद्ध रोकने की मांग की है। लेकिन इजरायल:
- मानता है कि उसने मानवीय सहायता पहुंचाने की कोशिश की है
- आरोपों का खंडन करता है कि उसने राहत रोकी
- हमलों को जारी रखे हुए है
इजरायल के इस रवैये पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारी नाराजगी है।
गाजा को चाहिए तुरंत अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप
गाजा में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं—यह सिर्फ एक युद्ध क्षेत्र नहीं रहा, बल्कि एक मानवीय त्रासदी का केंद्र बन चुका है। अब वक्त है कि संयुक्त राष्ट्र समेत दुनिया के सभी प्रभावशाली देश इजरायल पर दबाव बनाएं ताकि:
- युद्धविराम लागू हो
- मानवीय सहायता बिना बाधा पहुंचे
- बच्चों की मौतें रोकी जा सकें
यदि अभी भी दुनिया ने आँखें मूंदे रखीं, तो यह मौन सहमति बन जाएगी एक और बड़े नरसंहार की।