BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ अब तक अपने आधिकारिक सरकारी आवास से स्थानांतरित नहीं हुए हैं। यह मुद्दा उस समय चर्चा में आया जब सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर आवास को तत्काल खाली करवाने का अनुरोध किया। चंद्रचूड़ ने इस देरी के पीछे पारिवारिक कारणों को जिम्मेदार बताया है।
परिवारिक जरूरतें बनीं देरी की वजह
पूर्व CJI चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया कि उनकी दो बेटियों को गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, जिनमें से एक बीमारी नेमालाइन मायोपैथी है। यह एक दुर्लभ मांसपेशीय विकार है, जिसका इलाज दिल्ली स्थित एम्स में चल रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थिति में परिवार के लिए उपयुक्त नया घर ढूंढना आसान नहीं है और इसी वजह से उन्हें अधिक समय लग रहा है।
जिम्मेदारियों के प्रति सजग हैं पूर्व CJI
चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि वह अपने कर्तव्यों और संवैधानिक मर्यादाओं को समझते हैं और जल्द ही आवास खाली कर देंगे। उन्होंने कहा, “मैं सर्वोच्च न्यायिक पद पर रहा हूं, मुझे अपने दायित्वों की गंभीरता का भान है।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अतीत में अन्य सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों को भी कुछ समय तक सरकारी आवास में रहने की छूट दी गई थी।
आवास को लेकर सुप्रीम कोर्ट का पत्र
सुप्रीम कोर्ट ने 1 जुलाई 2025 को शहरी विकास मंत्रालय (MoHUA) को पत्र लिखकर निवेदन किया था कि लुटियंस दिल्ली स्थित कृष्ण मेनन मार्ग पर बंगला नंबर 5, जो वर्तमान CJI के लिए आवंटित है, उसे तत्काल खाली कराया जाए। उल्लेखनीय है कि जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दिसंबर 2024 में रिटायर हुए थे और अभी भी उसी टाइप VIII श्रेणी के सरकारी बंगले में रह रहे हैं।
CJI खन्ना को नहीं मिला आवंटित सरकारी आवास
पूर्व CJI के बंगले में निवास के चलते वर्तमान CJI जस्टिस संजीव खन्ना को उनके लिए निर्धारित आवास नहीं मिल पाया है। इससे पहले चंद्रचूड़ ने 18 दिसंबर 2024 को जस्टिस खन्ना को पत्र लिखकर 30 अप्रैल 2025 तक आवास में रहने की अनुमति मांगी थी, जिसे खन्ना ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद आवास मंत्रालय ने उन्हें 5,430 रुपये मासिक लाइसेंस शुल्क पर सरकारी आवास में रहने की अनुमति दी थी।