उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से एक बार फिर तनाव की बड़ी खबर सामने आई है। कुछ दिन पहले ही यहां कथावाचकों के साथ जातिगत दुर्व्यवहार का मामला चर्चा में आया था। अब इस मुद्दे ने और तूल पकड़ लिया है, जिसके चलते पुलिस और अहीर रेजीमेंट के बीच सीधा टकराव देखने को मिला।
क्या है पूरा मामला?
इटावा के दादरपुर गांव, जो ब्राह्मण बाहुल्य इलाका माना जाता है, वहीं कथावाचकों के साथ बदसलूकी की घटना सामने आई थी। पीड़ित कथावाचक मुकुट मणि सिंह यादव और उनके साथी कानपुर से यहां भागवत कथा पढ़ने आए थे।
कथावाचकों के साथ क्या हुआ?
- कथावाचकों के गांव में पहुंचते ही कथित तौर पर उनकी जाति पूछी गई।
- जब उन्होंने बताया कि वे यादव समुदाय से हैं, तो कुछ लोगों ने उन पर दलित होने का आरोप लगाया।
- आरोप है कि इसके बाद कथावाचकों के साथ बदसलूकी हुई, उनकी चोटी और बाल काट दिए गए।
- इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें कथावाचकों के साथ मारपीट और अपमान दिखा।
अहीर रेजीमेंट का विरोध प्रदर्शन
इस घटना के विरोध में 26 जून को अहीर रेजीमेंट नामक ग्रुप के कुछ लोग बड़ी संख्या में दादरपुर गांव पहुंचे।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प
- पुलिस को आशंका थी कि गांव में तनाव और बढ़ सकता है, इसलिए रास्ते में ही अहीर रेजीमेंट को रोक दिया गया।
- इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी।
- पुलिस को हालात काबू करने के लिए बल प्रयोग और हवाई फायरिंग करनी पड़ी।
- झड़प में पुलिस की गाड़ी क्षतिग्रस्त हो गई।
- मौके पर पहुंचकर सीनियर अधिकारियों ने हालात संभाले और कई उपद्रवियों को गिरफ्तार किया।
गांव में तनावपूर्ण माहौल, पुलिस की कड़ी कार्रवाई
इटावा के एसपी ग्रामीण श्रीचंद्र ने बताया कि:
- कुछ लोगों ने उपद्रव करने की कोशिश की थी, जिन्हें तुरंत काबू में लिया गया।
- दर्जनभर लोग गिरफ्तार किए गए हैं।
- शांति व्यवस्था बहाल कर दी गई है।
- गांव के बाहर पहले से पुलिस तैनात थी, फिर भी कुछ लोग सड़क पर आकर हिंसा फैलाने लगे।
अहीर रेजीमेंट कौन है?
- यह ग्रुप खुद को यादव और अहीर समाज के लोगों की मदद और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने वाला संगठन बताता है।
- इनका नारा है: “वीर अहीर का एक ही नारा, कंधे पर हो नाम हमारा”।
- हालांकि, किसी भी हाल में कानून हाथ में लेने की इजाजत नहीं है।
मामला राजनीतिक रंग भी ले चुका है
- समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कथावाचकों को बुलाकर सम्मानित किया।
- इसके बाद इटावा पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार किया।
- ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है।
- ग्रामीण यह भी दावा कर रहे हैं कि कथावाचकों ने अपनी जाति छुपाई थी, जिसे लेकर कथावाचकों पर भी एफआईआर दर्ज की गई है।
कथावाचकों पर भी लगे गंभीर आरोप
- कथावाचक मुकुट मणि सिंह यादव पर एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
- पुलिस ने इस मामले में भी जांच शुरू कर दी है।
क्या है फिलहाल स्थिति?
- इलाके में पुलिस तैनात है।
- सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो की मदद से फरार उपद्रवियों की तलाश जारी है।
- पुलिस का कहना है कि जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
निष्कर्ष: कानून अपने हाथ में लेना गलत
इटावा की इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जातिगत भेदभाव और राजनीति कैसे आम लोगों की शांति को भंग कर देते हैं। यदि किसी के साथ अन्याय हुआ है, तो उसकी कानूनी जांच होनी चाहिए। लेकिन कानून को हाथ में लेकर हिंसा करना न तो समाज हित में है और न ही कानूनी रूप से सही।
हम इस केस से जुड़ी हर अपडेट आप तक पहुंचाते रहेंगे।