BY: Yoganand Shrivastva
पिछले कुछ वर्षों में भूकंप की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। लेकिन क्या हर बार धरती का कांपना प्राकृतिक होता है? एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ भूकंप असल में गुप्त परमाणु परीक्षण भी हो सकते हैं। यह खुलासा अमेरिका की लॉस एलामोस लैब में हुई एक रिसर्च में किया गया है, जिसने सुरक्षा एजेंसियों और वैज्ञानिकों के बीच चिंता बढ़ा दी है।
क्या कहती है नई रिसर्च?
वैज्ञानिकों का कहना है कि भूकंप और परमाणु धमाके के झटकों के बीच फर्क करना बेहद मुश्किल है, खासकर जब दोनों लगभग एक ही समय और जगह के आसपास हों।
रिसर्च में मुख्य बातें:
- आज की एडवांस सिस्मोलॉजिकल टेक्नोलॉजी भी गड़बड़ा सकती है।
- अगर भूकंप और धमाका 100 सेकंड के भीतर और 250 किमी के दायरे में हों, तो तकनीक सिर्फ 37% मामलों में सही पहचान कर पाती है।
- शांत दिखने वाले इलाकों में भी ऐसे झटकों के जरिए गुप्त परमाणु परीक्षण छिपाए जा सकते हैं।
उत्तर कोरिया का उदाहरण: जहां सब शुरू हुआ
रिसर्च में नॉर्थ कोरिया का ज़िक्र खास तौर पर किया गया है। बीते 20 सालों में नॉर्थ कोरिया ने 6 परमाणु परीक्षण किए हैं। उन परीक्षण स्थलों के आसपास भूकंप जैसी गतिविधियां दर्ज की गईं, जिससे शक और भी गहराया।
वहां क्या देखा गया?
- क्षेत्र में छोटे-छोटे भूकंप अक्सर आते रहे।
- कई बार यह तय करना मुश्किल हो गया कि झटका भूकंप था या परमाणु बम धमाका।
तरंगों का अध्ययन: सच्चाई का सुराग
वैज्ञानिक जोशुआ कारमाइकल और उनकी टीम ने इस समस्या को सुलझाने के लिए खास तरीकों से P-वेव और S-वेव (भूकंप की तरंगें) का विश्लेषण किया।
उन्होंने क्या विकसित किया?
- एक ऐसा सिस्टम जो 1.7 टन के विस्फोट को 97% सटीकता से पहचान सकता है।
- लेकिन अगर धमाका और भूकंप पास-पास हों, तो सफलता दर गिरकर सिर्फ 37% रह जाती है।
दुनिया के लिए बढ़ता खतरा
इस रिसर्च ने सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है। अब अगर कोई देश भूकंप संभावित इलाके में गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण करता है, तो उसे पकड़ पाना बेहद मुश्किल हो सकता है।
इसका क्या मतलब है?
- गुप्त परमाणु हथियार परीक्षण पहले से ज्यादा छिपाए जा सकते हैं।
- ग्लोबल सिक्योरिटी के लिए यह बड़ा खतरा बन सकता है।
- भूकंप संभावित क्षेत्रों में निगरानी और पुख्ता करनी होगी।
सवाल जो दुनिया को सोचने पर मजबूर करते हैं:
- क्या हर भूकंप वाकई प्राकृतिक है?
- क्या कुछ देश भूकंप की आड़ में परीक्षण कर रहे हैं?
- क्या हमारी टेक्नोलॉजी इतनी सक्षम है कि वो हर बार सच बता सके?