BY: Yoganand Shrivastva
बिहार की राजधानी पटना के मसौढ़ी इलाके में प्रशासनिक लापरवाही का अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां RTPS पोर्टल से एक ऐसा निवास प्रमाण पत्र जारी किया गया है, जिसमें आवेदक का नाम ‘डॉग बाबू’, पिता का नाम ‘कुत्ता बाबू’ और माता का नाम ‘कुतिया बाबू’ दर्ज है। इतना ही नहीं, दस्तावेज़ में फोटो की जगह एक कुत्ते की तस्वीर भी लगी है।
प्रमाण पत्र पर अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर
यह मामला तब गंभीर हो गया जब सामने आया कि यह दस्तावेज मसौढ़ी अंचल कार्यालय से विधिवत जारी हुआ है और उस पर राजस्व पदाधिकारी मुरारी चौहान के डिजिटल सिग्नेचर भी हैं। इसका मतलब यह नहीं कि यह फोटोशॉप किया गया मज़ाक है, बल्कि यह एक सरकारी पोर्टल से जारी किया गया असली दस्तावेज है।
RTPS पोर्टल से निकला असली सर्टिफिकेट
इस प्रमाण पत्र का क्रमांक BRCCO/2025/15933581 है, जिसे पोर्टल पर सर्च करने पर जानकारी मिलती है कि यह असल में दिल्ली की एक महिला से जुड़ा दस्तावेज है। यानी सिस्टम में डाटा से छेड़छाड़ कर प्रमाण पत्र किसी जानवर के नाम पर जारी कर दिया गया।
अधिकारी बोले – कदाचार का मामला, होगी कड़ी कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए अंचलाधिकारी प्रभात रंजन ने स्पष्ट किया कि यह मजाक नहीं, गंभीर कदाचार है। उन्होंने कहा कि राजस्व पदाधिकारी के डोंगल का गलत उपयोग कैसे हुआ, इसकी जांच होगी और दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।
सोशल मीडिया पर बना मज़ाक
यह मामला सामने आते ही सोशल मीडिया पर चुटकुले और मीम्स की बाढ़ आ गई। लोग कह रहे हैं कि अगर ‘डॉग बाबू’ को निवास प्रमाण पत्र मिल सकता है, तो ‘बिल्ली दीदी’ को राशन कार्ड और ‘गाय माता’ को ड्राइविंग लाइसेंस मिलने में भी देर नहीं लगेगी। RTPS पोर्टल की कार्यप्रणाली पर लोग सवाल उठा रहे हैं और कह रहे हैं कि अब सिस्टम को एंटीवायरस की ज़रूरत है।
पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
गौरतलब है कि इससे पहले भी बिहार के मुंगेर जिले में सोनालिका ट्रैक्टर के नाम पर प्रमाण पत्र जारी होने का मामला सामने आया था। यह नया मामला फिर दिखाता है कि सिस्टम में डाटा सत्यापन की प्रक्रिया कितनी कमजोर है।
यह घटना बिहार के डिजिटल प्रशासन की संवेदनशीलता और निगरानी तंत्र की कमजोरियों को उजागर करती है। अब देखना होगा कि जांच के बाद दोषियों पर वास्तविक कार्रवाई होती है या यह भी सिर्फ एक मज़ेदार खबर बनकर रह जाएगी।