झारखंड में डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग ने हाल ही में राज्य की 37,810 आंगनबाड़ी सेविकाओं को स्मार्टफोन प्रदान किए हैं। इस पहल ने न केवल संचार व्यवस्था को सशक्त किया है, बल्कि पोषण, प्रारंभिक शिक्षा और आर्थिक विकास जैसे क्षेत्रों में सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच को भी बेहतर बनाया है।
कांके परियोजना के सुकरहुटू आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका सरीता कुमारी बताती हैं, “स्मार्टफोन के माध्यम से मुझे बच्चों की प्रगति का आंकलन करने, लाभार्थियों की तस्वीरें कैप्चर करने और टीएचआर जैसी सेवाएं समय पर देने में मदद मिली है। इससे मेरे आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है।”
स्मार्टफोन की मदद से अब सेविकाएं आधार सत्यापन, लाभार्थियों के चेहरे की पहचान और डेटा संग्रहण का कार्य स्वतंत्र रूप से और दक्षता के साथ कर पा रही हैं। वर्ष 2023 में जहां आधार सत्यापन के साथ लाभार्थियों की संख्या 17.44 लाख (48.03%) थी, वहीं मार्च 2025 तक यह संख्या बढ़कर 30.11 लाख (97.22%) हो गई है।
राज्य भर में 38,523 आंगनबाड़ी केंद्रों में अब सेविकाएं समय पर डेटा अपलोड कर रही हैं, जिससे जिला एवं राज्य स्तर पर ICDS (एकीकृत बाल विकास सेवा) की योजनाओं की प्रगति पर निगरानी और गुणवत्ता में सुधार संभव हो सका है। डिजिटल इनपुट के आधार पर नीतिगत निर्णय लेना भी अब अधिक सटीक और प्रभावी हो गया है।
इसके अलावा, सरकार ने सभी आंगनबाड़ी केंद्रों को आवश्यक बर्तनों के साथ-साथ LED टीवी, RO जल शुद्धिकरण यंत्र, विद्युत कनेक्शन, पंखे, शौचालय और सुरक्षित पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित करने की योजना शुरू की है।
सरकार ने 1,200 से अधिक आदिवासी बहुल गांवों की पहचान कर वहां नए आंगनबाड़ी केंद्र स्थापित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। जल्द ही इन केंद्रों में सेविकाओं और सहायिकाओं की नियुक्ति भी की जाएगी।
वर्तमान में आंगनबाड़ी केंद्र केवल सेवा केंद्र नहीं, बल्कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और सामाजिक बदलाव के उत्प्रेरक बनते जा रहे हैं। डिजिटल उपकरणों की मदद से यह केंद्र झारखंड को एक सशक्त, शिक्षित और पोषित राज्य की ओर ले जा रहे हैं।