ग्वालियर में साइबर ठगों ने एक चौंकाने वाला मामला सामने लाया है। एक रिटायर्ड टेक्नीशियन और उनकी पत्नी को 22 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर ₹7.10 लाख की ठगी कर ली गई। ठगों ने खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर दंपती को डराया और लगातार वीडियो कॉल के जरिए उन पर नजर रखी।
कैसे शुरू हुई ठगी?
64 वर्षीय अवनीश चंद्र मदनावत, जो मध्यप्रदेश सहकारी दुग्ध संघ से रिटायर्ड टेक्नीशियन हैं, को 9 जुलाई को एक अज्ञात नंबर से फोन आया। कॉल करने वाला खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी राना आनंद बता रहा था।
- वीडियो कॉल पर ठग ने पुलिस की वर्दी पहने व्यक्ति को दिखाया।
- दावा किया गया कि अवनीश के आधार कार्ड से दो सिम कार्ड जारी हुए हैं।
- आरोप लगाया गया कि इन सिम कार्ड से ₹700 करोड़ का लेनदेन और आयकर चोरी की गई है।
- साथ ही धमकाया कि जल्द ही गिरफ्तारी की जाएगी।
दंपती को रखा गया डिजिटल अरेस्ट
ठगों ने दंपती को समझाया कि जब तक जांच पूरी नहीं होती, उन्हें डिजिटल अरेस्ट में रहना होगा।
- 22 दिनों तक वीडियो कॉल लगातार चालू रखा गया।
- रात को सोने के समय वीडियो कॉल बंद, लेकिन ऑडियो कॉल चालू रहता था।
- यहां तक कि बाजार जाने पर भी उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी।
- दंपती को पड़ोसियों और रिश्तेदारों से बात करने से भी रोका गया।
RBI के नाम पर ₹7.10 लाख की ठगी
ठगों ने दंपती को यह कहकर फंसाया कि रकम जांच पूरी होने तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में जमा करनी होगी।
- खाते में मौजूद ₹7.31 लाख में से ₹7.10 लाख फिरोजाबाद के एक फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर कराए गए।
- आश्वासन दिया गया कि रकम 8–10 दिन में वापस मिल जाएगी।
- ठगों की नजर दंपती के फंड में जमा 40 लाख रुपए पर भी थी।
संदेह होने पर पहुंचे थाने
31 जुलाई को जब पैसे वापस नहीं आए, तो दंपती को शक हुआ।
- वे गोला का मंदिर थाना पहुंचे और अपनी आपबीती सुनाई।
- पुलिस ने उन्हें समझाया कि वे फ्रॉड के जाल में फंसे हैं।
- इसके बाद मामला ग्वालियर क्राइम ब्रांच को सौंपा गया।
पुलिस की जांच और चेतावनी
ग्वालियर के सीएसपी रोबिन जैन ने बताया:
“बुजुर्ग दंपती को 22 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर ₹7.10 लाख हड़पे गए हैं। जांच जारी है। डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई गिरफ्तारी नहीं होती। यह ठगों का बनाया जाल है। नागरिकों से अपील है कि ऐसे कॉल्स से सतर्क रहें और तुरंत पुलिस को सूचित करें।”
सावधानी ही सुरक्षा
- कभी भी वीडियो कॉल पर अज्ञात व्यक्ति की बातों पर भरोसा न करें।
- किसी भी हालत में खाते से पैसे ट्रांसफर न करें, जब तक आधिकारिक पुष्टि न हो।
- संदिग्ध कॉल आने पर तुरंत पुलिस या साइबर हेल्पलाइन 1930 पर संपर्क करें।